देहरादून 14 अक्टूबर 2021,
दिल्ली. सड़क दुर्घटना से संबंधित एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि असाधारण सावधानी बरत कर वाहनों की टक्कर से बचने में सिर्फ विफल रहना अपने आप में लापरवाही नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि जिस व्यक्ति पर सड़क दुर्घटना में योगदान के लिए लापरवाही का आरोप लगाया जा रहा है उसमें उसकी किसी चूक की भूमिका तो होनी चाहिए। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कर्नाटक हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ एक महिला और उनके नाबालिग बच्चों की अपील पर अपने फैसले में यह टिप्पणी की।
हाईकोर्ट ने कहा था कि महिला के दिवंगत पति भी लापरवाही के दोषी हैं. ट्रक से टक्कर में संलिप्त कार इस महिला के पति चला रहे थे और वह भी लापरवाही में योगदान के दोषी हैं। अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में महिला और उनके नाबालिग बच्चे मुआवजे की निर्धारित राशि के केवल 50 प्रतिशत के हकदार हैं. हालांकि, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय का निर्णय पलटते हुए कहा कि कुछ असाधारण सावधानी बरतकर टक्कर से बचने में नाकामी अपने आप में लापरवाही नहीं है।