उत्तराखंड तथ्य

उत्तराखंड विधान सभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों की संशोधन प्रार्थनापत्र नैनीताल हाई कोर्ट ने स्वीकार किया: न्याय की उम्मीद।

देहरादून 26 फरवरी 2023,

नैनीताल हाई कोर्ट ने उत्तराखंड विधान सभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं का संशोधन प्रार्थनापत्र को स्वीकार कर लिया है। हाईकोर्ट ने विधान सभा सचिवालय से इस मामले में दो सप्ताह की भीतर जवाब मांगा है। इस पर सुनवाई के लिए 31 मार्च की तारीख तय की गई है। विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों की संशोधित याचिका हाई कोर्ट द्वारा स्वीकार किए जाने पर बर्खास्त कर्मचारियों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। ज्ञातव्य है कि बर्खास्तगी के दिन से ही समस्त कर्मचारी उत्तराखंड विधानसभा के समक्ष लगातार दिन रात धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।

नैनीताल हाईकोर्ट में शनिवार को वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में बर्खास्त कर्मचारियों की याचिका पर सुनवाई हुई। बर्खास्त कर्मचारियों की ओर से दायर की गई याचिका में विधान सभा की जांच रिपोर्ट को संशोधन प्रार्थना पत्र के माध्यम से चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि 2001 से 2015 तक की नियुक्तियां भी अवैध है लेकिन 2016 से 2021 तक हुई नियुक्तियों की जांच की गई जो अवैध पाई गई। इसी आधार पर उनको बर्खास्त किया गया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि जांच के बाद उन्हें सुनवाई का मौका नही दिया गया। उनके साथ भेदभाव किया गया है। यह प्राकृतिक न्याय के विरुद्ध है। बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ठ, कुलदीप सिंह व 102 अन्य ने याचिका दायर कर चुनौती दी। याचिका में कहा गया है कि विधान सभा अध्यक्ष के द्वारा उनकी सेवाएं 27, 28, व 29 सितंबर 2022 को समाप्त कर दी गई थी।

याचिकाकर्ताओं का कहना है की उन्हें किस आधार पर, किस वजह से हटाया गया, कहीं इसका उल्लेख नहीं किया गया। जबकि उन्होंने सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की भांति कार्य किया है। एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित में नहीं है। यह आदेश विधि विरुद्ध है। विधान सभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच में भी हुई हैं, जिनको नियमित किया जा चुका है।

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