देहरादून 26 अक्टूबर 2021,
दिल्ली : उच्चतम न्यायालय नेअपने एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून से संबंधित एक अहम फैसले में कहा है कि सजा के बाद अपील के दौरान हुए समझौते के आधार पर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आपराधिक मामला खत्म कर सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए उच्च न्यायालय सीआरपीसी की धारा 482 में प्राप्त शक्तियों और संविधान के अनुच्छेद 142 में मिली शक्ति के तहत सजा के बाद अपील पर सुनवाई के दौरान पक्षकारों के बीच हुए समझौते के आधार पर आपराधिक मुकदमा समाप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने एससी-एसटी अत्याचार निरोधक कानून में दोषी व्यक्ति का मामला समाप्त करते हुए उसे सजा देने का हाई कोर्ट और निचली अदालत का फैसला रद कर दिया।
यह फैसला इसलिए अहम है क्योंकि तय कानून के मुताबिक एससी-एसटी एक्ट में दर्ज मुकदमा समझौते के आधार पर समाप्त नहीं हो सकता। यह फैसला सोमवार को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने मध्य प्रदेश के एक मामले में दोषी रामअवतार की याचिका स्वीकार करते हुए सुनाया।
रामअवतार को निचली अदालत और हाई कोर्ट से एससी-एसटी एक्ट में दोषी ठहराते हुए छह महीने का कारावास और 1,000 रुपये जुर्माने की सजा हुई थी। उस पर शिकायतकर्ता को जाति सूचक शब्द कहकर अपमानित करने का आरोप था।