देहरादून 01जनवरी 2022,
दिल्ली: चिकित्सा विशेषज्ञों ने बताया है कि ,ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर एक बात समान है जो कि 100 साल पहले दुनिया में आई महामारी के दौरान देखने को मिली थी। स्पेनिश फ्लू से 1918 में विश्व की करीब 35 फीसदी आबादी ने इस संक्रमण से जान गंवाई थी। महामारी जब तक 1920 में खत्म हुई तब तक 1 से 6 फीसदी वैश्विक आबादी इस संक्रमण की वजह जान गंवा चुकी थी।
दोनों महामारियों में समानताओं के बारे में विशेषज्ञों का अनुमान है कि कोरोना महामारी अब ओमिक्रॉन की दस्तक के बाद खत्म होने की कगार पर है। पहली दोनों लहर के दौरान कोरोना और स्पेनिश फ्लू के एक जैसे लक्षण देखने को मिले। पहली लहर थोड़ी हल्की थी जबकि दूसरी ज्यादा घातक साबित हुई है।
स्पेनिश फ्लू की दो लहरों के बाद म्यूटेशन हुआ और फ्लू हल्का होता चला गया। इस दौरान जो भी लोग संक्रमित हुए उनमें सिर्फ सर्दी जैसे हल्के लक्षण ही देखने को मिले। इसके बाद आई तीसरी लहर दूसरी से भी हल्की थी और ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। हालांकि अब तक भारत में चौथी लहर का कोई अनुमान नहीं है।
मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि मौजूदा सबूतों को देखते हुए ऐसा लगता है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट महामारी को खत्म कर सकता है। मैक्स हेल्थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा ने कहा कि कोरोना वायरस के म्यूटेशन का पैटर्न स्पेनिश फ्लू के पैटर्न से मिलता दिख रहा है।
एम्स दिल्ली के प्रोफेसर डॉक्टर संजय राय ने कहा कि खतरनाक स्थिति में रहने के दौरान वायरस म्यूटेशन के साथ-साथ अपना असर खोने लगता है। वायरस संक्रमित व्यक्ति के साथ ही खत्म होता जाता है। डॉक्टर राय ने कहा कि यह सभी वायरस के साथ होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है जो स्पेनिश फ्लू के दौरान भी देखी गई थी। मौजूद ग्लोबल डाटा के अनुसार ओमिक्रॉन के लक्षण कमजोर होते जा रहे हैं और इसके जरिए इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद मिलेगी।