देहरादून 07 अक्टूबर 2022,
केन्द्र सरकार अपराध की श्रेणी वाले कई जटिल कारोबारी नियमों में संशोधन कर रही है ।और इन्हें अपराध की श्रेणी से बाहर करने जा रही है। इसके लिए सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में बिल लाने की तैयारी कर रही है।
इसकी पुष्टि कुछ दिनों पहले वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी की थी। कारोबारी नियमों में संशोधन से छोटे-बड़े मैन्यूफैक्चरर्स को जटिल कानूनों से छुटकारा मिलेगा।
वर्तमान में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट को चलाने में कड़े जटिल ऐसे नियमों का पालन करना पड़ता है, जिनके उल्लंघन पर उद्यमियों को जुर्माना के साथ जेल तक जाना पड़ सकता है। इसलिए 100 से अधिक श्रमिकों वाले मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट चलाने वाले उद्यमी सरकारी प्रक्रियाओं में होने वाली चूक से निपटने के लिए लाइजनिंग आधिकारी रखते हैं। ताकि उनकी यूनिट बिना किसी बाधा के चलती रहे।
विभिन्न नियमों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने पर असंगठित रूप से काम कर रहे कई औद्योगिक इंटरप्राइजेज स्वयं को संगठित सेक्टर में लाएंगे, जिससे ना केवल उन्हें विभिन्न तरह का सरकारी लाभ मिलेगा बल्कि वहां काम करने वाले कर्मचारियों को भी फायदा होगा। सूत्रों के मुताबिक हो सकता है कारोबार संबंधी सभी फार्म को डिजिटल रूप में ही भरना अनिवार्य कर दिया जाए क्योंकि डिजिटल रूप में गलत जानकारी देने पर फार्म जमा नहीं होता है।
अभी मैन्यूफैक्चर को माल को बांट माप उपकरणों को भी हर साल प्रमाणित कराना होता है। सांख्यिकी विभाग द्वारा मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट से कई आंकड़े मांगे जाते हैं और इसे देने में चूक होने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है। मैन्युअल तरीके से फार्म भरने में कोई जानकारी छूट जाती है तो उसे भी अपराध माना जाता है। नाप तौल की त्रुटि को अपराध मान लिया जाता है। केन्द्र सरकार इन जटिल कानूनों का सरलीकरण करने जा रही है।