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देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं: प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी।

देहरादून 05 जनवरी 2023,

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो संदेश के माध्यम से जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन का विषय ‘वाटर विजन 2047’ है और फोरम का उद्देश्य सतत विकास और मानव विकास के लिए जल संसाधनों के दोहन के तरीकों पर चर्चा के लिए प्रमुख नीति निर्माताओं को एक साथ लाना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी संवैधानिक व्यवस्था में पानी का विषय, राज्यों के नियंत्रण में आता है और जल संरक्षण के लिए राज्यों के प्रयास, देश के सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत सहायक होंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि जल संरक्षण से जुड़े अभियानों में जनता को, सामाजिक संगठनों को,

प्रधानमंत्री ने ‘समग्र सरकार’ और ‘संपूर्ण देश’ के अपने दृष्टिकोण को दोहराते हुए, इस बात पर जोर दिया कि सभी सरकारों को एक ऐसी प्रणाली की तरह काम करना चाहिए, जिसमें राज्य सरकारों के विभिन्न मंत्रालयों, जैसे जल मंत्रालय, सिंचाई मंत्रालय, कृषि मंत्रालय, ग्रामीण और शहरी विकास मंत्रालय और आपदा प्रबंधन मंत्रालय के बीच निरंतर संपर्क और संवाद हो। उन्होंने कहा कि अगर इन विभागों के पास एक-दूसरे से संबंधित जानकारी और डेटा होगा तो योजना बनाने में मदद मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने बताया कि देश हर जिले में 75 अमृत सरोवर बना रहा है, जिसमें अब तक 25 हजार अमृत सरोवर बन चुके हैं। उन्होंने समस्याओं की पहचान करने और समाधान खोजने के लिए प्रौद्योगिकी, उद्योग और स्टार्टअप्स को जोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया और जियो-सेंसिंग और जियो-मैपिंग जैसी तकनीकों के बारे में बताया, जो बहुत मददगार हो सकते हैं। उन्होंने नीतिगत स्तरों पर पानी से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए सरकारी नीतियों और नौकरशाही प्रक्रियाओं को लागू करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। प्रत्येक घर को पानी उपलब्ध कराने के लिए एक राज्य के लिए एक प्रमुख विकास पैरामीटर के रूप में ‘जल जीवन मिशन’ की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि कई राज्यों ने अच्छा काम किया है, जबकि कई राज्य इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत शुरू हुए ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ अभियान पर भी प्रकाश डाला और बताया कि देश में अब तक 70 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि को सूक्ष्म सिंचाई के तहत लाया जा चुका है। उन्होंने कहा, “सभी राज्यों द्वारा सूक्ष्म सिंचाई को लगातार बढ़ावा दिया जाना चाहिए”। उन्होंने अटल भूजल संरक्षण योजना का भी उदाहरण दिया, जिसमें भू-जल पुनर्भरण के लिए सभी जिलों में बड़े पैमाने पर वाटरशेड का काम जरूरी है और पहाड़ी क्षेत्रों में स्प्रिंगशेड को पुनर्जीवित करने के लिए विकास कार्यों में तेजी लाने की जरूरत पर भी बल दिया।

जल संरक्षण के लिए राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने पर्यावरण मंत्रालय और जल मंत्रालय द्वारा समन्वित प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने जल के सभी स्थानीय स्रोतों के संरक्षण पर भी ध्यान देने का आह्वान किया और दोहराते हुए कहा कि ग्राम पंचायतें अगले 5 वर्षों के लिए एक कार्ययोजना तैयार करें, जहां जल आपूर्ति से लेकर स्वच्छता और अपशिष्ट प्रबंधन तक के रोडमैप पर विचार किया जाए। प्रधानमंत्री ने राज्यों से यह भी कहा कि किस गांव में कितने पानी की जरूरत है और इसके लिए क्या काम किया जा सकता है, इसके आधार पर पंचायत स्तर पर जल बजट तैयार करने के तरीके अपनाएं। ‘कैच द रेन’ अभियान की सफलता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि ऐसे अभियान राज्य सरकार का एक अनिवार्य हिस्सा बनने चाहिए, जहां उनका वार्षिक मूल्यांकन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “बारिश का इंतजार करने के बजाय, बारिश से पहले सारी योजना बनाने की जरूरत है।”

जल संरक्षण के क्षेत्र में सर्कुलर इकोनॉमी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने इस बजट में सर्कुलर इकोनॉमी पर काफी जोर दिया है। उन्होंने कहा, “जब ट्रीटेड वॉटर को री-यूज किया जाता है, फ्रेश वाटर को कंजर्व किया जाता है, तो उससे पूरे इकोसिस्टम को बहुत लाभ होता है। इसलिए वाटर ट्रीटमेंट, वॉटर रीसाइकलिंग आवश्यक है।” उन्होंने दोहराया कि राज्यों को विभिन्न उद्देश्यों के लिए ‘ट्रीटेड वॉटर’ के उपयोग को बढ़ाने के तरीके खोजने होंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी कोई भी नदी या वाटर बॉडी बाहरी कारकों से प्रदूषित ना हो, इसके लिए हमें हर राज्य में वाटर मैनेजमेंट और सीवेज ट्रीटमेंट का नेटवर्क बनाना होगा। उन्होंने हर राज्य में अपशिष्ट प्रबंधन और सीवेज ट्रीटमेंट का एक नेटवर्क बनाने पर जोर देते हुए कहा, “हमारी नदियां, हमारी वाटर बॉडीज पूरे वाटर इकोसिस्टम का सबसे अहम हिस्सा होते हैं।” अंत में, प्रधानमंत्री ने कहा, “नमामि गंगे मिशन को एक खाका बनाकर अन्य राज्य भी नदियों के संरक्षण के लिए इसी तरह के अभियान शुरू कर सकते हैं। जल को सहयोग और समन्वय का विषय बनाना प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है।”

जल संरक्षण के विषय पर राज्यों के मंत्रियों के प्रथम अखिल भारतीय वार्षिक सम्मेलन में सभी राज्यों के जल संसाधन मंत्रियों ने भाग लिया।

 

 

 

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