देहरादून 24 फरवरी 2022,
दिल्ली: वेबिनार2021-22 के बजट में घोषणा की गई थी कि शत-प्रतिशत डाकघरों और डाकघरों के बीच संचालित होने वाले खातों को मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के दायरे में लाया जायेगा। ग्रामीण निर्धनों, खासतौर से महिलाओं के जीवन पर इस कदम से क्या प्रभाव पड़ेगा? इस विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया है, जिसमें बजट-उपरान्त डाकघरों के लिये शत-प्रतिशत मूलभूत बैंकिंग प्रणाली सुनिश्चित करने और ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में वित्तीय और बैंकिंग सेवायें प्रदान करने के लिये डाक नेटवर्क के उपयोग की रणनीति पर भी चर्चा की गई है।वेबिनार में हुई चर्चा से उत्पन्न नतीजों को समय पर लागू करने के लिये विभाग एक विस्तृत रोडमैप तैयार करेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वेबिनार के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित किया। “समस्त ग्रामीण निर्धनों, विशेषकर महिलाओं के लिये आजीविका विकल्पों और वित्तीय सेवाओं को सुगम बनाने की सुनिश्चितता के तहत “इंडिया पोस्ट के माध्यम से कभी भी, कहीं भी बैंकिंग सेवाओं और अंतर-परिचालन योग्य सेवाओं पर चर्चा की गई है।
सत्र की अध्यक्षता ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह ने की। इसमें नीति आयोग और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञों तथा देश के विभिन्न भागों के डाकघरों की योजनाओं से जुड़े हितधारकों ने हिस्सा लिया। शत-प्रतिशत मूलभूत बैंकिंग प्रणाली के साथ-साथ डाकघरों के खातों के बीच आपस में चलने ओ वाली सेवाओं पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में हिस्सा लेने वालों ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के तत्वावधान में वित्तीय और बैंकिंग सेवायें प्रदान करने के लिये डाक नेटवर्क के उपयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की। नीति आयोग के विशिष्ट विशेषज्ञ अजित पई ने इस बात पर जोर दिया कि डाकघर ऋण, वित्तीय साक्षरता और वित्तीय समावेश की आमूल उपलब्धि के लिये महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।