स्वास्थ्य

भारत में शुरु हुई तीन डोज वाली कोरोना वैक्सीन की सप्लाई ।

देहरादून 03 फरवरी 2022,

दिल्ली: वैश्विक महामारी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भारत में स्वदेशी कंपनी जायडस कैडिला ने अपनी कोरोना वैक्सीन जायकोव-डी की सप्लाई शुरू कर दी है।यह वैक्सीन निडिल फ्री वैक्सीन है, और 12 साल से ऊपर के लोगों को दी जा सकेगी।

भारत में अभी इसे 18 साल से ऊपर के लोगों को ही लगाई जाएगी। इस वैक्सीनमें सुई का इस्तेमाल नहीं होगा। यानी ये वैक्सीन निडिल फ्री वैक्सीन है। जायडस कैडिला की वैक्सीन जायकोव-डी को केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में ही मंजूरी दे दी थी । सरकार द्वारा अनुमति नहीं मिलने से अब तक इस वैक्सीन का उपयोग नहीं हो पाया था।

निर्माता कंपनी जायडस कैडिला द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक वैक्सीन की विशेषताएं।

*तीन डोज वाली वैक्सीनः अभी तक दुनियाभर में जितनी वैक्सीन लगाई जा रही है, वो या तो सिंगल डोज हैं या डबल डोज। लेकिन जायकोव-डी पहली वैक्सीन है जिसकी तीन डोज लगाई जाएगी।

*निडिल फ्री वैक्सीनः इसमें सुई का इस्तेमाल नहीं होगा. इसे जेट इंजेक्टर से लगाया जाएगा. इससे वैक्सीन को हाई प्रेशर से लोगों की स्किन में इंजेक्ट किया जाएगा. इस डिवाइस का आविष्कार 1960 में हुआ था। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2013 में इसके इस्तेमाल की अनुमति दी थी।

*डीएनए बेस्ड वैक्सीनः जायकोव-डी दुनिया की पहली डीएनए बेस्ड वैक्सीन है. अभी तक जितनी भी वैक्सीन हैं, वो एम.आर.एन.ए. का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन ये प्लाज्मिड डीएनए का इस्तेमाल करती है.

* स्टोरेज भी आसानः बाकी वैक्सीन की तुलना में इसका रखरखाव ज्यादा आसान है. इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस पर लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है. इतना ही नहीं, 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी इसे 4 महीने तक रखा जा सकता है।

* वैक्सीन के तीन डोज 28-28 दिन के अंतर से लगाए जाएंगे। पहली डोज के बाद दूसरी डोज 28 दिन बाद और तीसरी डोज 56 दिन बाद लगाई जाएगी।

* बताया कि जायकोव-डी एक प्लाज्मिड- डीएनए वैक्सीन है. ये वैक्सीन शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए जेनेटिक मटेरियल का इस्तेमाल करती है।

*अभी जो वैक्सीन हैं वो एमआरएनए तकनीक का इस्तेमाल करती हैं. इसे मैसेंजर आरएनए कहा जाता है. ये शरीर में जाकर कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने का मैसेज देती है।

*वहीं, प्लाज्मिड इंसानी कोशिकाओं में मौजूद एक छोटा डीएनए मॉलिक्यूल होता है. ये आमतौर पर बैक्टिरियल सेल में पाया जाता है. प्लाज्मिड-डीएनए शरीर में जाने पर वायरल प्रोटीन में बदल जाता है. इससे वायरस के खिलाफ मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है।

*इस तरह की वैक्सीन की एक खास बात ये भी होती है कि इन्हें कुछ ही हफ्तों में अपडेट भी किया जा सकता है. अगर वायरस म्यूटेट करता है तो इसे चंद हफ्तों में बदला जा सकता है

*डीएनए वैक्सीन को ज्यादा असरदार और मजबूत माना जाता है. अब तक स्मॉलपॉक्स समेत कई बीमारियों की जो वैक्सीन मौजूद है, वो सभी आधारित है।

कंपनी जायडस कैडिला को केंद्र सरकार ने इस वैक्सीन के 1 करोड़ डोज ऑर्डर किए थे। इसकी सप्लाई कंपनी ने शुरू कर दी है। ये वैक्सीन अभी सरकार की ओर से मुफ्त दी जाएगी। कंपनी ने इसकी एक डोज की कीमत 265 रुपये रखी है। इसके अलावा हर एक डोज पर 93 रुपये जीएसटी भी लगेगा। यानी, एक डोज की कुल कीमत 358 रुपये होगी।

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