राष्ट्रीय समाचार

मुख्यमंत्री ने जोशीमठ को भूस्खलन एवं भू-धंसाव क्षेत्र घोषित करने के निर्देश दिए।

देहरादून 08 जनवरी 2023,

उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थिति गंभीर बनी हुई है। यहां की सड़कों, खेतों , मकानों और एतिहासिक धरोहरों में दरारें पड़ना जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि, अन्धाधुंध विकास अब विनाश का कारण बन गया है क्योंकि पनबिजली परियोजनाओं, सुरंगों ने हमारे शहर को प्रभावित किया है। जोशीमठ भू-धंसाव त्रासदी को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में भू-धंसाव क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया एवं प्रभावित परिवारों से मिल कर उन्हें हर संभव सहायता प्रदान किए जाने का भरोसा दिलाया।

मुख्यमंत्री श्री धामी ने आज जोशीमठ भू-धंसाव क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करने के पश्चात देहरादून में सचिवालय स्थित आपदा प्रबन्धन केन्द्र में शासन के उच्चाधिकारियों के साथ राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा की। इस दौरान मुख्यमंत्री ने विस्तृत दिशा निर्देश भी जारी किए।

मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि जोशीमठ में भू-धंसाव से पीड़ित लोगों की मदद संबंधित अन्य गतिविधियों के अनुश्रवण हेतु अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में शासन तथा आयुक्त गढ़वाल की अध्यक्षता में स्थानीय स्तर पर समन्वय समिति का तत्काल गठन किया जाए।

उन्होंने कहा कि गठित समिति क्षेत्र में किए जा रहे सभी कार्यों की मॉनिटरिंग करेगी, ताकि पीड़ितों की हर सम्भव मदद तथा क्षेत्र के विकास कार्यों में तेजी लायी जा सके। उन्होंने सचिव आर. मीनाक्षी सुन्दरम और आयुक्त गढ़वाल सुशील कुमार को रविवार से जोशीमठ में कैम्प करने के निर्देश भी दिए।

मुख्यमंत्री ने पीडितों की मदद के लिए आपदा मानकों से हट कर भी मदद किए जाने व सीएसआर के तहत भी राहत की व्यवस्था के निर्देश दिए। उन्होंने जोशीमठ को भूस्खलन एवं भू-धंसाव क्षेत्र घोषित करने के साथ ही जिलाधिकारी चमोली को आपदा मद से 11 करोड़ रूपए की अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराई है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर निदेशक राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र हैदराबाद तथा निदेशक भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान से जोशीमठ क्षेत्र की सेटेलाइट इमेज व उनका अध्ययन कर विस्तृत रिपोर्ट उपलब्ध कराने का अनुरोध जियोलॉजी,किया गया है।

मुख्यमंत्री के निर्देश पर निदेशक आईआईटी रुड़की, निदेशक वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन, निदेशक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रूड़की एवं निदेशक सीएसआईआर , सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की से विस्तृत सर्वेक्षण एवं अध्ययन कर रिर्पोट प्रस्तुत करने की अपेक्षा की गई है।

 

 

 

 

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