देहरादून 01जनवरी 2022,
दिल्ली. विश्व के कई देशों में कोरोना संक्रमण का नया वेरिएंट ओमिक्रोन के मरीजों की वृद्धि के साथ भारत में भी मरीज बढ़ रहे हैं। वहीं अन्य कोरोना के मरीजों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है लेकिन कोरोना के अन्य वेरिएंट के मुकाबले ज्यादा संक्रामक बताए जा रहे इस वेरिएंट के चलते ओमिक्रोन को लेकर ज्यादा चिंता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इम्पलीमेंटेशन रिसर्च ऑन नॉन कम्यूनिकेबल डिसीज के निदेशक और कम्यूनिटी मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि देश में आरटीपीसीआर जांच के माध्यम से कोरोना का तो पता चल रहा है लेकिन किन मरीजों में ओमिक्रॉन की शिकायत है इसका पता चलना अभी भी मुश्किल हो रहा है। इसके पीछे वजह है ओमिक्रॉन का कोई सब वेरिएंट. ऐसा लग रहा है कि ओमिक्रॉन का कोई एक सब वेरिएंट है जो आरटीपीसीआर जांच की पकड़ में नहीं आ रहा है। यही वजह है कि कई मामलों में देखा गया है कि जिस व्यक्ति की रैपिड एंटीजन जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आई है, वह आरटीपीसीआर में नेगेटिव है. जिसका मतलब यह नहीं है कि आरटीपीसीआर में नेगेटिव आने पर वह संक्रमित नहीं है, बल्कि संभव है कि वह संक्रमित है लेकिन आरटीपीसीआर में इसकी पहचान नहीं हो पा रही है। जैसा कि हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने भी कहा है कि आरटीपीसीआर टेस्ट में तीन टार्गेट जीन में से एक जीन का पता नहीं चला है, जो शायद ओमिक्रॉन का सब वेरिएंट हो सकता है। यही वजह है कि यह जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती है।
ओमिक्रॉन वेरिएंट के मामले देश में लगातार बढ़ रहे हैं। वहीं कोरोना के कुल केसेज में भी बढ़ोत्तरी हो रही है. पिछले दिनों में रोजाना सात हजार के आसपास आ रहे कोरोना के मामलों के बाद अब 16 हजार से ज्यादा संक्रमित मिल रहे हैं। भारत के अलावा विदेशों में भी मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है, हालांकि ओमिक्रॉन की संक्रमण दर भले ही ज्यादा है लेकिन इसकी वजह से मृत्यु दर अभी भी काफी कम है। ऐसे में कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाने के साथ ही दैनिक जीवन में सावधानी बरतने की जरूरत है। इसके साथ ही जरा भी लक्षण दिखाई देने पर तत्काल कोविड की जांच कराने की जरूरत है।