उत्तराखंड तथ्य

शिरो धार्य, कथोपकथन, विवेकानंद खंडूड़ी।

देहरादून 25 दिसंबर 2022,

शिरो धार्य, कथोपकथन ,

आज देहरादून के dav कॉलेज़ छात्र संघ के चुनाव होने जा रहे हैं, जो उत्तराखण्ड तथा पश्चिमी उत्तरप्रदेश का सबसे बड़ा ज्ञान पीठ हैं।

राजनेता हेमवती नंदन बहुगुणा, समाजवादी चिंतक सुरेन्द्र मोहन तथा साहित्यकार विद्या सागर नौटियाल इसी संस्थान के छात्र रह चुके हैं.

नित्यानंद स्वामी, हीरासिंह बिष्ट,रविंद्र जुगरान एवं विनोद बड़थवाल आदि राजनेता कभी यहाँ छात्र संघ अध्यक्ष रहे हैं।

लेकिन छात्र संघ अध्यक्ष के नाते सर्वाधिक चर्चित, लोकप्रिय एवं हाहाकारी रहे हैं विवेकानंद खंडूड़ी , न भूतो , न भविष्यति।

हम पहाड़ों के कॉलेज़ में पढ़ने वाले छात्रों के लिए तब उनका नाम भय, रोमांच एवं प्रेरणा का प्रतीक था.

बड़े बड़े गुंडे मवाली उनका नाम सुनते ही पतली गली से खिसक लेते थे।

हेमवती नंदन बहुगुणा के कुख्यात उप चुनाव में उन्होंने कांग्रेस द्वारा हरियाणा और उत्तरप्रदेश से लाये क्रीत गुंडों को लात, घूँसा और डंदों से कस कर पीटा.

दून घाटी का चर्चित भरतू दायी अथवा भरतु डाकू भी उनका शागिर्द था।

लेकिन जिस तरह विभिन्न अग्नेयासत्रों से सज्जित महाभारत में कृष्ण के अग्रज बलराम जी का हथियार हल था, उसी तरह विवेकानंद खंडूड़ी का हथियार भी उनका कपाल था।

वह खाडू की तरह जिस पर अपने सर की भटक ताळ मार देते थे, उसे कई मिनट बाद सांस आती थी.

उन्होंने कभी छुरा , तमँचा आदि कोई हथियार नहीं रखा, जबकि उस समय ये आम प्रयुक्त होते थे.

खंदूरी ने कभी बाज़ार में लूट पाट न की. हमेशा पैदल चलते रहे।

वह जन समस्याओं को लेकर कभी भी किसी नेता, मंत्री या अफसर के कमरे में घुस जाते थे, और जाते ही दरवाज़ा भीतर से बंद करते थे. बात न समझने पर वह अमुक महानुभाव पर अपने सर से एक चोट मारते, और फिर सारी बात उसकी समझ में तुरंत आ जाती थी।

Dav कॉलेज़ के प्रिंसिपल रह चुके मेरे सीनियर मित्र डॉ देवेंद्र DrDevendra Bhasin ने कभी मुझे एक संस्मरण सुनाया।

भसीन साहब से घंटा घर के आसपास कुछ शरारती तत्व घेर कर वृथा हुज्जत करने लगे. तभी वहां से खंडूरी अपनी पैदल सेना के साथ गुज़रे.

बुद्धिजीवी को घिरा देख उन्होंने बगैर कुछ पूछे ताछे हुज्जतियों के नेता की छाती पर अपने सर से एक प्रहार किया, और मामला सुलझ गया।

उत्तराखण्ड में नेताओं से ज़्यादा मतदाता भ्रष्ट हैं. यहाँ के भ्रष्ट मतदाताओं ने खंडूरी को उनका उचित हविष्य न दिया.

मुझे खंदूरी से मिले वर्षो हो गए।

आशा है उनका सर सलामत होगा, और आजके छात्र नेता उनसे कुछ सीखेंगे।

राजीव नयन बहुगुणा

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