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संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के खिलाफ ‘विश्वास घात दिवस’ मनाया।

देहरादून 01फरवरी 2022,

दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को केंद्र सरकार के खिलाफ ‘विश्वास घात दिवस’ मनाया। संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार सरकार द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने के दौरान, साथ जो समझौते तय हुए थे, उन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है जिसके खिलाफ यह दिवस मनाया जा रहा है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नाम एक ज्ञापन भी जिलाधिकारियों व तहसीलदार को दिया है। ज्ञापन में नाराजगी व्यक्त कर वायदे पूरे न होने पर दोबारा आंदोलन शुरू करने की चेतावनी भी दी गई है। इसके अलावा किसानों ने ज्ञापन में सभी वायदों को लिख राष्ट्रपति को उनकी जानकारी भी दी है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में कहा है, यह बताते हुए हमें बेहद दुख रोष हो रहा है कि एक बार फिर देश के किसानों के साथ धोखा हुआ है। भारत सरकार के 9 दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर हमने मोर्चे उठाने का फैसला किया था, सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है। इसलिए पूरे देश के किसानों ने आज विश्वासघात दिवस मनाने का फैसला लिया है। वहीं सरकार की कथनी करनी का अंतर आप स्वयं देख सकते हैं। सरकार उनके विश्वास को न तोड़े। सत्ता किसान के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे। आप केंद्र सरकार को उसके लिखित वादों की याद दिलाएं इन्हे जल्द से जल्द पूरा करवाएं. यदि सरकार अपने लिखित आश्वासन से मुकर जाती है तो किसानों के पास आंदोलन को दोबारा शुरू करने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

दिल्ली की सीमाओं पर संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले देश के किसानों ने केंद्र सरकार के कृषि कानून को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी हासिल करने अन्य किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ एक लंबा आंदोलन चलाया था। एसकेएम ने ज्ञापन में आगे लिखा है, कृषि कानून आंदोलन के चलते आपके हस्ताक्षर से तीन किसान विरोधी कानूनों को रद्द किया गया था। उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने 21 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों संबंधी बकाया छ: मुद्दों की तरफ उनका ध्यान आकृष्ट किया गया था। उसके जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा के नाम एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कुछ मुद्दों पर सरकार की ओर से आश्वासन दिए आंदोलन को वापस लेने का आग्रह किया। इस चिट्ठी पर भरोसा कर संयुक्त किसान मोर्चा ने दिल्ली के बॉर्डर पर लगे मोर्चा तमाम धरना प्रदर्शनों को 11 दिसंबर से उठा लेने का निर्णय किया था।

किसान मोर्चा के नेताओं ने बताया कि, केंद्र सरकार ने वायदा किया था कि आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएंगे। इसके साथ ही केंद्र सरकार राज्यों से मुकदमे वापस लेने की अपील करेगी। आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा। एमएसपी पर एक कमेटी बनाई जाएगी। इसके अलावा लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपित मंत्री को केंद्र सरकार ने आज तक बर्खास्त नहीं किया है।

सरकार किसानों के विश्वास को न तोड़े। सत्ताधारी दल किसान के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करें। केंद्र सरकार ने जो वायदे किसानों से किए उसे जल्द पूरा कराएं। अन्यथा किसान वापस आंदोलन के लिए कूच करेंगे।

सरकार ने किसानों के साथ किया विश्वासघात : संयुक्त किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को तहसील परिसर में प्रदर्शन कर विश्वासघात दिवस मनाया। इसके बाद प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन उपजिलाधिकारी कार्यालय में सौंपा। ज्ञापन में कहा है कि सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है। किसानों को एमएसपी पर कानून का आश्वासन दिया गया था। इसके लिए किसानों की पांच सदस्यीय टीम भी गठित की गई थी। न तो टीम से कोई चर्चा की गई और न ही संसद में एमएसपी पर कोई अध्यादेश लाया गया।

ज्ञापन में चेतावनी दी है कि इस पर जल्द कदम नहीं उठाया गया तो गाजीपुर जैसा आंदोलन जनपद के प्रत्येक जिले के मुख्यालय पर किया जाएगा। इस मौके पर भाकियू अंबावता के मंडल सचिव हाजी रफीक, भाकियू टिकैत के प्रदेश सचिव दरियाब सिंह, भाकियू चढूनी के सुरजीत सिंह, झंडू सिंह, अखलाक अहमद, अफसर खां, मकसूद, इकरार, भूरे खां, रामनाथ मौर्य, शेर सिंह मौर्य, गुरबाज सिंह आदि मौजूद रहे।

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