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सबूत के विस्तृत पुनर्मूल्यांकन के बिना, अपील को खारिज नहीं किया जा सकता है:सुप्रीम कोर्ट ।

देहरादून 19 जनवरी 2022,

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि, आपराधिक अपील का फैसला रिकॉर्ड पर पूरे सबूत पर चर्चा करने और फिर से सबूतों का मूल्यांकन करने के बाद ही करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट लखनऊ के उस फैसले को रद्द कर दिया जिसमे पीड़ित कि अपील को एक पेज/पैराग्राफ के आदेश से निरस्त कर दी गयी थी।

सुप्रीम कोर्ट की डिवीजन बेंच जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल ने ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय लखनऊ के फैसले के खिलाफ दायर आपराधिक अपील की अनुमति दी और पुनः तय करने के लिए वापस भेज दिया।

इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 452, 323/34 और 325/34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए प्रतिवादी संख्या 2 से 4 – आरोपी को दोषी ठहराया, हालांकि, कोर्ट ने धारा 354, 504 आईपीसी की धारा 506, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(1)(x) और 3(1)(xi) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए बरी कर दिया।

विशेष न्यायालय के फैसले से व्यथित और असंतुष्ट हो कर पीड़ित ने हाई कोर्ट में अपील दायर कि, जिसे एक पृष्ठ / पैराग्राफ के फैसले से उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया।

उच्च न्यायालय द्वारा पारित किया गया आक्षेपित निर्णय और आदेश एक पृष्ठ / पैरा का है। पैराग्राफ 3 में यह देखने के बाद कि “मैंने विद्वान ट्रायल कोर्ट के फैसले को ध्यान से पढ़ा है” उसके बाद रिकॉर्ड पर पूरे सबूत के विस्तृत पुनर्मूल्यांकन के बिना उच्च न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि,यह मानने के लिए विवश हैं कि यह वह तरीका नहीं है जिससे उच्च न्यायालय को बरी करने के आदेश के खिलाफ अपील से निपटना चाहिए था। उच्च न्यायालय ने परीक्षित गवाह के बयान पर केवल सामान्य टिप्पणियां की हैं बिना पूरे साक्ष्य का विस्तार से कोई पुनर्मूल्यांकन किये, जो उच्च न्यायालय द्वारा बरी करने के फैसले और आदेश से निपटने के दौरान किया जाना चाहिए था।

उच्च न्यायालय को रिकॉर्ड पर मौजूद पूरे साक्ष्य का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए था क्योंकि वह पहली अपील तय कर रहा था। प्रथम अपीलीय न्यायालय होने के नाते, उच्च न्यायालय को रिकॉर्ड पर मौजूद पूरे साक्ष्य और विचारण न्यायालय द्वारा दिए गए तर्कों का पुनर्मूल्यांकन करना आवश्यक था।

उपरोक्त के मद्देनजर और ऊपर बताए गए कारणों के लिए और मामले के गुण-दोष पर कुछ भी व्यक्त किए बिना, पीठ ने अपील की अनुमति दी। सुप्रीम कोर्ट ने आक्षेपित निर्णय और उच्च न्यायालय द्वारा आपराधिक अपील में पारित आदेश को अपास्त कर दिया।

उच्च न्यायालय के समक्ष अपील को उसकी मूल फाइल में बहाल करने का आदेश दिया है। उच्च न्यायालय को यहां ऊपर की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए, कानून के अनुसार और अपने गुणों के आधार पर अपील का निर्णय और निपटान करने का निर्देश दिया गया है।

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