देहरादून 30 अगस्त 2022,
दिल्ली हाई कोर्ट ने हनीट्रैप के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि सहमति से होने वाले सेक्स में व्यक्ति को संबंध बनाने से पहले अपने साथी की जन्मतिथि सत्यापित करने के लिए आधार कार्ड या पैन कार्ड चेक करने की जरूरत नहीं है। न्यायालय ने विवादित हनीट्रैप के मुकदमे में आरोपी को जमानत देते हुए यह टिप्पणी की।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को पीड़ित महिला के संबंध में इस बात की जांच करने आदेश देते हुए कहा है कि, कहीं पीड़ित महिला आदतन अपराधी तो नहीं है, जो मर्दों के खिलाफ रेप का एफआईआर दर्ज कराकर पैसे वसूलती है।
हाई कोर्ट के जज जसमीत सिंह ने जमानत देते हुए कहा, ”वह व्यक्ति,जो किसी अन्य व्यक्ति से सहमति से शारीरिक संबंध रखता है, उसे दूसरे व्यक्ति की जन्म तिथि की जांच करने की जरूरत नहीं है. उसे शारीरिक संबंध में प्रवेश करने से पहले अपने साथी का आधार कार्ड,पैन कार्ड देखने और उसके स्कूल रिकॉर्ड से जन्म तिथि सत्यापित करने की जरूरत नहीं है।
‘इस मामले में पीड़ित महिला ने दावा किया है कि वह अपराध के समय नाबालिग थी और पहले उसे सहमति से यौन संबंध बनाने का लालच दिया गया फिर आरोपी ने धमकी देकर रेप किया है।
अदालत को पीड़ित महिला के बयान में कई असंगतिया मिलीं हैं. अदालत ने पाया कि एक साल में महिला ने आरोपी से अपने खाते में करीब 50 लाख रुपये लिए हैं. पैसे की अंतिम किश्त का भुगतान एफआईआर दर्ज कराने और आरोपी पर पॉक्सो एक्ट की धाराएं लगाने के एक हफ्ते पहले ही दी गई थी.
जज ने एक अदालती आदेश का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामले बढ़े हैं, जहां निर्दोष लोगों को फंसाया जा रहा था और उनसे बड़ी मात्रा में पैसा वसूला जा रहा था. जसमीत सिंह ने अपने आदेश में लिखा है, ”मेरा मानना है कि इस मामले में जो नजर आ रहा है, उससे कहीं अधिक है.प्रथम दृष्टया मुझे यह लग रहा है कि यह भी ऐसा ही मामला लगता है.” उन्होंने दिल्ली पुलिस के प्रमुख को आदेश दिया है कि वो इस बात की जांच कराएं कि कहीं पीड़ित महिला ने इसी तरह का केस दिल्ली में किसी और के खिलाफ तो नहीं दर्ज कराया है।