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सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण सम्बन्धी मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण को लेकर नाराजगी जताई।

देहरादून 13 नवंबर 2021,

दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण सम्बन्धी मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के लिए पड़ोसी राज्यों के किसानों के पराली जलाए जाने को जिम्मेदार बताए बताया जाता है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हर बात के लिए किसान को जिम्मेदार बता देने का चलन ठीक नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए किसानों को कोसना एक फैशन बन गया है। चाहे वह दिल्ली सरकार हो या कोई और सब किसानों की ओर उंगली उठा देते हैं। ये ठीक नहीं है। दिल्ली में पटाखों पर बैन था, उसका क्या हुआ? हमने देखा कि बैन के बावजूद पटाखे जले और उससे प्रदूषण बढ़ा लेकिन उस पर कोई बात नहीं करेगा।

वायु प्रदूषण को लेकर अपनी दलीले देते हुए केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण पराली जलाया जाना है। किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए कुछ नियम होने चाहिए, जिससे राज्य सरकारें उन पर कार्रवाई कर सकें। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, हम मान सकते हैं कि प्रदूषण में कुछ हिस्सा पराली जलने की वजह से है लेकिन बाकी दिल्ली में जो प्रदूषण है वो पटाखों, उद्योगों और धूल-धुएं की वजह से है। उसका आप क्या करेंगे? हर किसी ने किसान की ओर उंगली उठा देना फैशन बना लिया है। पराली को छोड़कर जो बाकी वजहे हैं आप, हमें उन पर काबू के लिए उठाए कदमों के बारे में बताइए। हालात कैसे हैं सब जानते हैं, यहां तक हम घर में भी मास्क लगाते हैं।

सीजेआई ने कहा कि हमें तत्काल नियंत्रण के उपाय चाहिए। दो दिन के लॉकडाउन की सोचें, आखिर इस हालत में लोग कैसे रहेंगे।

दिल्ली सरकार ने कोर्ट में बताया कि शपथ पत्र तैयार किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट अब इस पर 15 नवंबर को सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में सरकार पर वायु प्रदूषण से निपटने में गंभीरता नहीं दिखाने की बात कही गई है और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को अदालत की निगरानी में लेने की मांग की गई है। जिस पर सुनवाई हो रही है। सीजेआई एन वी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है।


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