देहरादून 25 दिसंबर 2021,
दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने सुशासन दिवस’ पर कहा कि, सदन की कार्यवाही को बार-बार बाधित और जबरन स्थगित किए जाने के कारण विधायिका, कार्यपालिका को जवाबदेह ठहराने की अपनी जिम्मेदारी को लेकर उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रही।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि ”निष्क्रिय” विधायिका के कारण शासन से समझौता होता है, क्योंकि कार्यपालिका को इस बात का भय नहीं होता कि विधानपालिका में उससे सवाल किए जाएंगे। सुशासन के लिए अच्छी विधायिका की आवश्यकता होती है, ताकि लोगों के प्रति कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
‘सुशासन दिवस’ पर उपराष्ट्रपति ने चेन्नई में राजभवन से एक वीडियो संदेश में कहा कि प्रश्नकाल, लघु अवधि की चर्चाओं और विधेयकों पर बहस जैसे विभिन्न उपकरणों का उपयोग करके निर्वाचित प्रतिनिधि नीतियों के क्रियान्वयन और विभिन्न कल्याणकारी एवं विकास परियोजनाओं के निष्पादन को लेकर सरकार से सवाल कर सकते हैं।
विधायिका में ‘अच्छे सांसदों या विधायकों’ की आवश्यकता है, जो लोगों द्वारा उन पर जताए भरोसे पर खरा उतरने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करें। ”यदि कोई सांसद या विधायक अपना काम प्रभावी तरीके से नहीं करता है, तो उसे विभिन्न स्तरों पर कार्यपालिका से सवाल करने का मौलिक अधिकार नहीं होता।”सुशासन प्रशासन में लोगों का विश्वास बढ़ाता है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।