राष्ट्रीय समाचार

मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संबोधन।

देहरादून 30 अप्रैल 2022,

दिल्ली: मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संबोधन में कहा कि, राज्य के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालय के मुख्य-न्यायाधीशों की ये जॉइंट कॉन्फ्रेंस हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्रण है। मुझे ख़ुशी है कि इस अवसर पर मुझे भी आप सबके बीच कुछ पल बिताने का अवसर मिला है। हमारे देश में जहां एक ओर न्याय पालिका की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं legislature कार्यपालिका नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोड मैप तैयार करेगा। मैं आप सभी को इस आयोजन के लिए हृदय से शुभकामनायें देता हूँ।

देश में न्याय की देरी को कम करने के लिए सरकार अपने स्तर से हर संभव प्रयास कर रही है। हम न्यायायिक शक्ति को बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, न्यायायिक अवसंरचना को बेहतर करने की कोशिश चल रही है। केस मेनेजमेंट के लिए आईसीटी के इस्तेमाल की शुरुआत भी की गई है। सब -ओर्डिनेट कोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक, रिक्तियों को भरने के लिए भी प्रयास हो रहे हैं। साथ ही, न्यायायिक अवसंरचना को मजबूत करने के लिए भी देश में व्यापक काम हो रहा है। इसमें राज्यों की भी बहुत बड़ी भूमिका है।

आज पूरी दुनिया में नागरिकों के अधिकारों के लिए, उनके सशक्तिकरण के लिए टेक्नोलॉजी एक कारगर हथियार बन चुकी है। हमारे ज्यूडिशियल सिंस्टम में भी, टेक्नोलॉजी की संभावनाओं से आप सब परिचित हैं। हमारे माननीय न्यायाधीश समय-समय पर इस विमर्श को आगे भी बढ़ाते रहते हैं। भारत सरकार भी ज्यूडिशियल सिंस्टम में टेक्नोलॉजी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है। उदाहरण के तौर पर, ई- कोर्ट प्रोजेक्ट को आज मिशन मोड में इंप्लीमेंट किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ई -कमेटी के मार्गदर्शन में ज्यूडिशियल सिंस्टम में भी, टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशनऔर डिजिटाइजेशन का काम तेजी आगे बढ़ रहा है।

सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि, आज जब हम टेक्नोलॉजी और फ्यूचर्स्टिक एपप्रोच की बात कर रहे हैं, तो इसका एक इंपॉर्टेंट एस्पेक्ट्स फ्रेंडली ह्यूमन रिसोर्स भी है। टेक्नोलॉजी आज युवाओं के जीवन का स्वाभाविक हिस्सा है। ये हमें सुनिश्चित करना है कि युवाओं की एक्सपर्टाइज प्राइस उनकी प्रोफेशनल इन्सट्रेन्थ कैसे बने। आजकल कई देशों में ला- यूनिवर्सिटी में ब्लॉक चैन्स, इलेक्ट्रॉनिक डिस्कवरी ,साइबर सिक्योरिटी ,रोबोटिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोएथिक्स जैसे विषय पढ़ाये जा रहे हैं। हमारे देश में भी लीगल एजुकेशन इन इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के मुताबिक हो, ये हम सबकी ज़िम्मेदारी है। इसके लिए हमें मिलकर प्रयास करने होंगे।

हमारे देश में आज भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की सारी कार्यवाही इंग्लिश में होती है और मुझे अच्छा लगा सीजीआई ने स्वयं ने इस विषय को स्पर्श किया तो कल अखबारों को पॉजिटीव खबर का अवसर तो मिलेगा अगर उठा लें तो। लेकिन उसके लिए बहुत इंतजार करना पड़ेगा।

एक बड़ी आबादी को न्यायिक प्रक्रिया से लेकर फैसलों तक को समझना मुश्किल होता है। हमें इस व्यवस्था को सरल और आम जनता के लिए ग्राह्य बनाने की जरूरत है। हमें न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के सामान्य नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेगा।

संयुक्त सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना जी, न्यायाधीश यूयू ललित , देश के कानून मंत्री किरण रिजिजू , राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल , उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अन्य राज्यों मुख्यमंत्री गण, राज्यपाल, लेफ्टिनेंट गवर्नर्स ऑफ , सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, हाईकोर्ट के न्यायाधीश , उपस्थित थे।

 

 

 

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