विज्ञान

एक फरवरी को अदभुत खगोलीय घटना,50 हजार साल बाद नंगी आंखों से दिखेगा दुर्लभ हरा धूमकेतु।

अंतरिक्ष में अदभुत खगोलीय घटनाएं होती रहती हैं। इनमें से कुछ ही धरती से नजर आती हैं। कुछ आ‍काशीय घटनाएं ऐसी भी होती हैं, जिनको देखने के लिए टेलिस्‍कोप की भी जरूरत नहीं होती और हम इनको नंगी आंखों से भी देख सकते हैं। ऐसी ही एक आकाशीय घटना 1 फरवरी को होने वाली है, यह दिन खास रहने वाला है। क्योंकि एक हरा धूमकेतु (Rare Green Comet)पृथ्वी के पास से गुजरेगा और जिसे बाइनाकुलर या टेलीस्कोप के साथ ही नंगी आखों से भी देखा जा सकेगा। ये हरा धूमकेतु सूरज का चक्कर 50 हजार साल में पूरा करने वाला है, पिछली बार ये पृथ्वी के 4.2 करोड़ किमी आसमान से गुजरा था वो वक्त पुरा पाषाण काल( Neanderthal age) का था।

खगोलविदों ने बताया है कि पुरा पाषाण काल में हम होमो सेपिंयस ने इस हरे चमकीले तारे को देखा था और अब 1 फरवरी को देखने जा रहे हैं। वैज्ञानिकों ने इस हरे धूमकेतु को C/2022 E3 (ZTF) नाम दिया है।अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने जनवरी 2023 की शुरुआत में बताया था कि खगोलविदों ने ग्रीन कॉमेट को मार्च 2022 में ज़्विकी ट्रांजिएंट फैसिलिटी में वाइड-फील्ड सर्वे कैमरा की मदद से पहली बार देखा। उस दौरान हरा धूमकेतु बृहस्पति ग्रह की कक्षा में था। बर्फ और धूल से बने और हरे रंग वाले धूमकेतु का व्यास एक किमी के करीब बताया जा रहा है। जो रात में एक सफेद लपट जैसा दिखायी देगा। लेकिन इस धूमकेतु का हरा रंग इसे दुलर्भ बनाता है, जो एक्सपर्ट के मुताबिक पृथ्वी से 2.7 करोड़ मील की दूरी से गुजरेगा

आइए जाने किया होता है धूमकेतु?

बता दें कि धूमकेतु जमी हुई गैसों, चट्टानों और धूल से बने कॉस्मिक स्‍नोबॉल होते हैं। धूमकेतु सूर्य की परिक्रमा करते हैं। ये आकाशीय पिंड जमे हुए होने पर काफी छोटे होते हैं। लेकिन, सूरज के करीब पहुंचने पर गर्म हो जाते हैं और गैस व धूल का चमकदार गुबार अपने पीछे छोड़ते जाते हैं। जोकि पूंछ जैसा दिखाई परता हे।

हरे रंग का क्‍यों है यह धूमकेतु?

Rare Green Comet – कुछ समय पहले खोजे गए नए कॉमेट C/2022 E3 (ZTF) को हरा धूमकेतु भी कहा जा रहा है। इसका हरा रंग इसे अदभुत बनाता है, अब ये सवाल उठना लाजिमी है कि हरा धूमकेतु बाकी कॉमेट की तरह पीली, लाल, सफेद या नीली रोशनी क्‍यों नहीं निकाल रहा है? ये हरी रोशनी ही क्‍यों निकाल रहा है। हरे धूमकेतु में डाई एटॉमिक कार्बन और साइनोजेन मॉलीक्यूल होते हैं। ये दोनों अणु सूर्य की पराबैंगनी किरणों के संपर्क में आते हैं तो चार्ज होकर हरे रंग की रोशनी का उत्‍सर्जन करते हैं। इस मामले में हम इसकी हरी रोशनी को नंगी आंखों से भी देख पाएंगे।

कहां कहां देखा जा सकता है इस दुर्लभ आकाशीय घटना को?
पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में लोग इस घटना को अंधेरा होने पर नंगी आंखों से देख सकते हैं और भारत में रात 9:30 बजे के बाद आसमान में साफ आसमान की स्थिति और बाहर अंधेरा होने के बाद धूमकेतु दिखाई देगा। भारत के ऊपर आसमान में धूमकेतु को देखने के लिए, आसमान में ध्रुव तारे से थोड़ा सा दक्षिण की ओर देखें और आप आसमान में हरे रंग का पता लगा सकते हैं। धूमकेतु दक्षिण की ओर यात्रा करेगा और ओरियन तारामंडल के शीर्ष पर पहुंचेगा। धूमकेतु पश्चिम बंगाल, ओडिशा, लद्दाख और देश के कई पूर्वोत्तर राज्यों सहित भारत के कई हिस्सों में दिखाई देगा।

 

 

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