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भारत सरकार ने गेहूं की जमाखोरी, कालाबाजारी तथा सट्टेबाजी तथा बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए भंडारण सीमा घटाई।

दिल्ली, भारत सरकार ने गेहूं की जमाखोरी, कालाबाजारी तथा सट्टेबाजी तथा बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बड़े व्यापारियों, थोक विक्रेताओं,और मिलों की भंडारण सीमा को घटाकर दो हजार मीट्रिक टन कर दिया है। यह आदेश सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 31 मार्च 2024 तक लागू रहेगा। इससे पहले गेहूं भंडारण की सीमा तीन हजार मीट्रिक टन थी।

केंद्र सरकार ने गेहूं के मूल्यों में बढ़ोतरी को कम करने के लिए व्यापारियों, थोक विक्रेताओं और बड़े स्तर के खुदरा विक्रेताओं के लिए गेहूं भंडारण की सीमा को तीन हजार मीट्रिक टन से दो हजार मीट्रिक टन किया है। इसके साथ ही बड़ी श्रेणी के खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक आउटलेट के लिए 10 मीट्रिक टन और उनके सभी डिपो पर दो हजार मीट्रिक टन भंडारण सीमा निर्धारित की गई है।

अन्य श्रेणियों के लिए भंडार सीमा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। गेहूं का भंडारण वाले सभी विक्रेताओं को https://evegoils.nic.in/wsp/login गेहूं भंडार सीमा पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। संस्थाओं को प्रत्येक शुक्रवार को भंडार की स्थिति अपडेट करना आवश्यक है। कोई भी संस्था जो पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाई गई या भंडरण सीमा का उल्लंघन करती है, तो उसके विरुद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के अंतर्गत उचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।

यदि उपरोक्त संस्थाओं द्वारा रखे गए भंडार उपरोक्त निर्धारित सीमा से अधिक हैं, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे निर्धारित भंडारण की सीमा में लाना होगा। केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन भंडारण सीमाओं के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की कोई बनावटी कमी पैदा न हो। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग गेहूं के मूल्यों को नियंत्रित करने और देश में आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के भंडार की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है।

 

 

 

 

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