दिल्ली, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आज यहां 29वां विश्व ओजोन दिवस मनाया। विश्व ओजोन दिवस हर साल 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण संधि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने की याद में मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य वायु मंडल में स्थित ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के उत्पादन और खपत को चरणबद्ध रूप से समाप्त करना है। यह संधि 1987 में आज ही के दिन हुई थी। ओजोन समताप मंडल (स्ट्रेटोस्फीयर) में रहती है, यह वायुमंडल की वह परत है जो सतह से 10 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है। वायुमंडलीय ओजोन का लगभग 90 फीसदी समताप मंडलीय “ओजोन परत” में है, जो सूर्य द्वारा उत्सर्जित हानिकारक पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी की सतह को बचाता है।
आकाश में ओजोन परत के क्षरण और इसे संरक्षित करने के लिए किए जाने वाले उपायों के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए विश्व ओजोन दिवस हर साल मनाया जाता है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में ओजोन सेल 1995 से राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विश्व ओजोन दिवस मना रहा है। विश्व ओजोन दिवस 2023 का विषय “मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: ओजोन परत को ठीक करना और जलवायु परिवर्तन को कम करना” है।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में सचिव सुश्री लीना नंदन इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थीं। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के अनुपालन में हमेशा सक्रिय रहा है। उन्होंने इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के लिए मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन के कार्यान्वयन की तैयारी के लिए देश में नई पहल की जा रही है। उन्होंने मंत्रालय द्वारा इस विषय पर आयोजित प्रतियोगिताओं में बड़ी संख्या में भागीदारी के लिए बच्चों की सराहना की। मुख्य अतिथि ने एलआईएफ़ई मिशन सहित एमओईएफसीसी की अन्य पहलों और पर्यावरण संरक्षण के लिए विभिन्न गतिविधियों के बीच तालमेल के बारे में भी जानकारी दी।
यूएनईपी इंडिया कार्यालय के प्रमुख अतुल बगई और यूएनडीपी भारत कार्यालय की उप रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री इसाबेल त्शान ने भी कार्यक्रम में शामिल लोगों को संबोधित किया।
विश्व ओजोन दिवस हमें याद दिलाता है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए ओजोन काफी महत्वपूर्ण है, लिहाजा, हमें न सिर्फ अपने लिए बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी ओजोन परत की रक्षा करना जारी रखना चाहिए।