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The Aandolan Kari Manch welcomed the lawyers who advocated free of cost in the Muzaffarnagar incident of 1994.  

देहरादून , 23 जून 2024,

देहरादून कोर्ट परिसर स्थित आन्दोलनकारी शहीद स्मारक में उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी मंच ने कार्यक्रम आयोजित कर सीबीआइ कोर्ट मुजफ्फरनगर में 1994 में हुए मुजफ्फरनगर काण्ड की निःशुल्क पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं का स्वागत किया।

मुजफ्फरनगर बार के वरिष्ठ अधिवक्ता रजनीश चौहान के परिजन का देर रात देहान्त होने के कारण दोनों ही अधिवक्ता कार्यक्रम में नहीं पहुँच सभी राज्य आंदोलनकारियों का धन्यवाद दिया और बताया कि यह हमारी अस्मिता का सवाल हैं। इसलिये सम्मान से जीने का हक सभी को हैं हम अन्तिम क्षण तक सभी दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि, दो दशक बाद भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिलने पर , हमने सभी के सहयोग से दस्तावेज क्रमवार तैयार किए। आन्दोलन से संबंधित रिट कि गहन स्टडी करने के साथ ही देहरादून में कई अधिवक्ताओं व राज्य आंदोलनकारी मंच के सहयोग के साथ नैनीताल बार के कई अधिवक्ताओं के साथ बैठक कर मुजफ्फरनगर बार के अधिवक्ताओं के साथ समन्वय बनाया। और सबसे महत्वपूर्ण हमारे गवाहों के सहयोग से हम इतना आगे बढ़ पाये और सजा दिलवाने में सफल हो रहें हैं एवं यें क्रम जारी रहेगा।

इस दौरान पूर्व राज्य मंत्री रवीन्द्र जुगरान व धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी व पूर्व उप महाधिवक्ता रमन शाह की मेहनत से नैनीताल बार के अधिवक्ताओं व मुजफ्फरनगर बार के अधिवक्ताओं के साथ बेहतरीन समन्वय बनाकर उनकी पहल पर मुजफ्फरनगर अधिवक्ताओं द्वारा पूरी मेहनत व शिद्दत के साथ मजबूती से राज्य आंदोलनकारियों का पक्ष रख रहें हैं। जगमोहन सिंह नेगी के साथ प्रदीप कुकरेती, द्वारिका बिष्ट व पुष्पलता सिलमाणा ने रमन शाह के साथ मुजफ्फरनगर के दोनों अधिवक्ताओं अनुराग वर्मा व रजनीश चौहान का विशेष धन्यवाद दिया कि उन्होंने शहीदों के परिजनों के साथ ही सभी राज्य आंदोलनकारियों में उम्मीद जगाने व न्याय दिलाने का कार्य किया हैं। बैठक का संचालन पूरण सिंह लिंगवाल ने किया।

एक अक्टूबर 1994 को बस में सवार होकर हजारों आंदोलनकारी उत्तराखंड से दिल्ली के लिए रवाना हुए थे। थाना छपार क्षेत्र के रामपुर तिराहा पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर आंदोलनकारियों के वाहनों को रोक लिया था। यहां शान्ति पूर्ण प्रदर्शन कर रहे आन्दोलन कारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज और फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें सैकड़ों आन्दोलनकारी घायल हुए और सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी।

इस अवसर पर कोटद्वार से महेन्द्र रावत , मसूरी से देवी गोदियाल , ऋषिकेश से डी एस गुसाईं , हरिद्वार से सूर्यकांत भट्ट , सतपुली से विशम्भर दत्त बौठींयाल , पौड़ी से स्व महावीर सिंह नेगी की पुत्री रेखा नेगी , युवा नेता मोहन भण्डारी , सचिवालय एथलीट संघ से ललित चन्द्र जोशी , सलाहकार केशव उनियाल , महासचिव रामलाल खंडूड़ी , महेन्द्र रावत , जयदीप सकलानी , प्रताप सिंह रावत , अभिनव थापर , नवीन रमोला , नरेन्द्र नौटियाल , चन्द्र किरण राणा , सुरेश नेगी , सतेन्द्र भण्डारी , मोहन खत्री , मनमोहन नेगी , सुनील नौगाँई , धर्मानंद भट्ट , विनोद असवाल , पुष्पलता सिलमाणा , पुष्पा नेगी , द्वारिका बिष्ट , तारा पाण्डे , सुभागा फर्स्वाण , राधा तिवारी , तारा पाण्डे , अरुणा थपलियाल , रेखा पंवार , उषा उनियाल , सरोजनी नौटियाल , साबी नेगी , आशा नौटियाल , भीम सिंह रावत , लोक बहादुर थापा , जितेन्द्र नेगी , विरेन्द्र गुसांई , मनोज नौटियाल , धर्मपाल सिंह रावत प्रेम सिंह नेगी , वीर सिंह रावत , विजय बलूनी , एच के पेटवाल , हेमंत मंझखोला , प्रभात डण्डरियाल , आशीष कण्डवाल , सुदेश सिंह , सुमित थापा , सुबोध सेमवाल आदि मौजूद रहें।

The Aandolan Kari Manch welcomed the lawyers who advocated free of cost in the Muzaffarnagar incident of 1994.

 

 

 

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