देहरादून 29 नवंबर 2021,
उत्तरप्रदेश विधानसभा 2022 के चुनाव से पहले कांग्रेस की प्रतिज्ञा रैलियों में मिल रहे जन-समर्थन को देखकर कांग्रेस उत्साहित है। तीस साल से भी ज्यादा अरसे के बाद पार्टी की जनसभाओं में इतना जनसमर्थन दिखाई दे रहा है। पार्टी के लिए जनसमर्थन को वोट में बदलने के लिए जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने की चुनौती है।
‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ अभियान के जरिये कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी राजनीतिक अभियान को जमीन तक ले जाने की कोशिश कर रही हैं। महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने के ऐलान के साथ उन्होंने लड़कियों को स्कूटी और आगंनवाड़ी कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि का भी वादा किया है। ऐसे में यह सवाल लाजिमी है कि क्या कांग्रेस चुनाव में सत्ता की दहलीज तक पहुंच पाएगी।
कांग्रेस उत्तर प्रदेश में पिछले 32 साल से सत्ता से बाहर है। वर्ष 1989 में सत्ता से बाहर होने के बाद पार्टी के पास कोई वोट बैंक नहीं है। कभी दलित और मुसलमानों में मजबूत पैठ रखने वाली कांग्रेस का वोट बैंक बिखर चुका है। लगातार सत्ता से बाहर रहने की वजह से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और नेता भी दूसरे दलों में चले गए। पार्टी में जो नेता बचे हैं, उनमें से ज्यादातर की कोई जमीनी पकड़ नहीं है और तालमेल का भी आभाव है।
कांग्रेस यूपी में सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। निश्चय ही इससे पार्टी का जनाधार बढ़ेगा । ऐसे में सपा और बसपा से अलग चुनाव लड़ते हुए पार्टी भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में आ पाएगी?