स्वास्थ्य

कोविड से ठीक होने के बाद सांस लेने में तकलीफ, कमजोरी हो सकते हैं हृदय रोग के संकेतः डा. इरफान

 

कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के 3 महीने बाद भी मरीजों में हृदय संबंधी समस्याएं देखी जा रही हैं

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देहरादून। कोरोना वायरस संक्रमण से ठीक होने के 3 महीने बाद भी मरीजों में हृदय संबंधी समस्याएं देखी जा रही हैं। ठीक होने के महीनों बाद भी यदि कोरोना रोगियों में सांस लेने में कठिनाई, शरीर में थकावट, अधिक पसीना आना जैसे लक्षण दिखाई पडे़ं तो यह हृदय रोग समस्या भी हो सकती है। इन लक्षणों को सिर्फ कोविड से जुड़ा हुआ समझ अनदेखा करना स्वास्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ये बात फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल देहरादून के वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ इरफान याकूब भट्ट ने कही।

डॉ भट्ट ने कहा कि‘‘ कोरोना वायरस संक्रमण मुख्य रूप से श्वसन सम्बंधित संक्रमण है लेकिन कई बार इसके द्वारा हृदय प्रणाली में भी संक्रमण हो सकता है, जो हृदय की कोशिकाओं से लेकर दिल की मांसपेशियों तक संक्रमित कर सकता है। 

उन्होंने कहा, ‘‘कोविड रोगियों के साथ मेरे अनुभव में मैंने देखा कि 10 प्रतिशत कोविड रोगियों में संक्रमण के दौरान हृदय सम्बंधित समस्याएं भी पायी गयीं। डॉ इरफान ने ये भी बताया कि कई रोगियों में हृदय सम्बंधित रोग के संकेत कोरोना से ठीक होने के महीनों बाद भी देखे गए।

उन्होंने कहा कि, ‘‘वायरस की भागेदारी खून के थक्के बनाने में देखी गयी, जिसे थ्रोम्बोसिस कहते हैं। इससे एंडोथीलियम डिस्फंक्शन भी हो सकता है। जिन रोगियों को इस तरह की समस्याएं होती हैं उनमें दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।

’’ उन्होंने बताया कि, ‘‘हमारे पास कई मामले हृदय गति बढ़ने के या सांस लेने में तकलीफ होने के आ रहे हैं। उनमें से कई (40 प्रतिशत) में कोविड 19 के हल्के, मध्यम या गंभीर स्तरों का संक्रमण रहा है। जिन लोगों में कोरोना से पहले कोई हृदय सम्बंधित समस्या नहीं थी उनमें भी कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद हृदय सबंधित समस्या देखी गयी है।

’’ कोरोना से ठीक होने के बाद जब रोगियों में सांस लेने की तकलीफ देखी जाती है, तो अक्सर फेफड़े ही चेक किये जाते हैं। ईसीजी टेस्ट से बाद में हृदय समस्या पता चलती है। कोविड से ठीक होने के बाद 6-8 हफ्तों तक व्यायाम करने से बचना चाहिये। फिर धीरे धीरे टहलने से शुरू करना चाहिए।

डॉ इरफान याकूब भट्ट ने बताया, ‘‘लोग इस तरह की हृदय सम्बंधित मृत्यु दर का जोखिम कम कर सकते हैं अगर सही समय पर इसके लक्षणों को पहचान लिया गया। एक मामूली से ईसीजी टेस्ट से इस तरह की समस्या का पता लगाया जा सकता है। ज्यादातर हृदय सम्बंधित बीमारियां पूरी तरह से ठीक हो सकती हैं अगर सही समय पर ध्यान दिया जाए।

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