धार्मिक राज्य समाचार

चंपावत: बालेश्वर मंदिर का किया जाएगा रासायनिक उपचार

 

13वीं शताब्दी में स्थापित बालेश्वर मंदिर जो की स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना भी है। ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का बालेश्वर मंदिर समूह पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में है और अब उस मंदिर को अब रासायनिक उपचार दिया जा रहा है।

 

सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में इस प्राचीन मंदिर की धरोहर के असल स्वरुप को संभालने के लिए कैमिकल ट्रीटमेंट की मदद ली जाएगी। चंद शासकों की ओर से स्थापित बालेश्वर मंदिर का अस्तित्व रासायनिक उपचार पर टिका हुआ है। पुरातात्विक महत्व वाले सदियों पुराने मंदिर को संरक्षित करने के लिए समय-समय पर परीक्षण व जीर्णोद्धार का कार्य किया जाता है।

 

बतातें चले कि मंदिर में मौजूद शिलालेख के अनुसार 1272 ईसवीं में बालेश्वर मंदिर की स्थापना हुई थी। वही मंदिर समूह को एक के ऊपर एक रखने में इंजीनियरिंग ने भी एक अलग मिस्साल कायम करी थी। क्यूंकि विशालकाय शिलाओं को आपस में ऐसे जोड़ा गया है कि 750 वर्ष बाद भी मंदिर स्थिर है। शिल्प कला की दृष्टि से मंदिर बहुत महत्वपूर्ण है। हर मूर्ति भव्य व कलात्मक है। भगवान शिव के अलावा यहां मां भगवती, चंपा देवी, भैरव, गणेश, मां काली की मूर्तियां हैं।

 

 

पुरातात्विक महत्व के भवन या मंदिरों की शिलाएं उम्र के साथ कमजोर होती जाती हैं। खासकर मौसम का असर, हवाओं की गति व उसमें मिले गैसीय रसायन भी धीरे-धीरे शिलाओं का क्षरण करते हैं। इन्हें रासायनिक उपचार के जरिए ही सहेजना संभव है। जिसके लिए मंदिर के बाहरी व भीतरी हिस्से में शिलाओं का रासायनिक उपचार कर उन्हें सहेजने का काम किया जा रहा है।

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