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रोजगार सृजन आर्थिक विकास से होता है, जिसके लिए भरपूर निवेश की आवश्यकता होती है :जयराम रमेश।

देहरादून 28 अगस्त 2023,

दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रोजगार मेला आयोजित कर सरकारी विभागों में नवनियुक्त 51 हजार भर्तियों को नियुक्ति पत्र वितरण किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, कि प्रधानमंत्री रोजगार मेला नरेंद्र मोदी का चेहरा बचाने की कवायद के अलावा कुछ नहीं है, जो देश के बेरोजगार युवाओं को हर साल दो करोड़ नौकरियां देने के अपने बड़े वादे को पूरा करने में विफल रहे हैं।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी और जीएसटी लागू करने की नीतियों को विफल करार देते हुए कहा कि भाजपा ने हर साल 2 करोड़ नौकरी देने के अपने वादे को पूरा करने में फेल होने के बाद नोटबंदी, गलत ढंग से डिज़ाइन की गई जीएसटी और बिना किसी तैयारी के अचानक लॉकडाउन से उधोग सेक्टर को बर्बाद करने के बाद,9 वर्षों से अधिक समय तक युवाओं की आशा और आकांक्षा को धोखा देने के बाद, प्रधानमंत्री चुनावी वर्ष में असहज स्थिति में है।

भारतीय जनता पार्टी अपनी बिगड़ती छवि को बचाने के लिए, सबसे बड़े जुमलों में से एक “प्रधानमंत्री रोजगार मेला” लेकर आए हैं।

जयराम रमेश बताया कि, रोजगार मेलों में जो नौकरियां मिल रही हैं, वो पहले से ही स्वीकृत पदों पर मिल रही हैं, जिन्हें प्रशासनिक या वित्तीय कारणों से वर्षों से नहीं भरा गया था। बहुत बड़ी संख्या में प्रमोशन के मामलों में भी प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्ति पत्र बांटे जा रहे हैं। इन मेलों के माध्यम से जो हो रहा है, वो शासन का व्यक्तिगत इस्तेमाल है। ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे ये रूटीन नौकरियां प्रधानमंत्री की वजह से मिल रही हैं। जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि,रोजगार सृजन आर्थिक विकास से होता है, जिसके लिए भरपूर निवेश की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री रोजगार मेला सिर्फ़ एक नौटंकी है। ये असीम और अद्वितीय अहंकार, घमंड, आत्ममुग्धता के साथ-साथ बेरोजगारी की गंभीर स्थिति के लिए जिम्मेदारी स्वीकार करने से इंकार करने का एक और प्रमाण है।

एक अन्य बयान में कांग्रेस महासचिव जय राम रमेश ने चंद्रयान-3 की सफलता को प्रत्येक भारतीय की सामूहिक सफलता बताते हुए इसरो की उपलब्धि निरंतरता की गाथा को दर्शाती है और वास्तव में शानदार है।

इस संबंध में पार्टी की ओर से कहा है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा 1962 में शुरू हुई, जिसे होमी भाभा और विक्रम साराभाई की दूरदर्शिता के साथ-साथ देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का भरपूर समर्थन प्राप्त था। उसके बाद अगस्त 1969 में विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना की।

 

 

 

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