देहरादून 30 जून 2023,
दिल्ली: रक्षा उत्पादन विभाग द्वारा आयोजित हिंदी सलाहकार समिति की 14वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि, उनका मंत्रालय हिंदी के संवैधानिक प्रावधानों, और सरकार की राजभाषा नीति संबंधी निर्देशों के अनुपालन के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंदी की बढ़ती लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व पटल पर हिंदी का प्रचार-प्रसार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिंदी की बढ़ती प्रतिष्ठा के चलते, आज हिंदी सीखना समय की मांग हो गयी है। उन्होंने कहा कि, ‘एक वैज्ञानिक भाषा होने’, और ‘जैसा बोला जाता है वैसी लिखी जाने’ जैसी विशेषताओं ने इसे लोकप्रिय भाषा बनाया है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा संयुक्त राष्ट्र महासभा, तथा देश-विदेश में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिंदी में किए गए संबोधन की चर्चा करते हुए, श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह हिंदी को वैश्विक मंचों पर गौरवान्वित किया है, हमारे लिए प्रेरणा की बात है। इससे न सिर्फ देश, बल्कि विदेश में रहने वाले भारतीयों को भी बहुत गर्व होता है।
श्री सिंह ने कहा, “हमारे विभाग, व अन्य कार्यालयों और उपक्रमों में हर स्तर पर इस बात के प्रयास किए जाते हैं कि सरकारी कामकाज में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा मिले और इसमें काफी सफलता भी मिली है। भाषा को सांस्कृतिक परंपरा की प्रतिनिधि बताते हुए, रक्षा मंत्री ने कहा कि हिंदी में अखिल भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधित्व की क्षमता है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि स्वतंत्रता के बाद जिन-जिन महापुरुषों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का प्रस्ताव रखा था, उनमें से अधिकांश की मातृभाषा हिंदी नहीं थी।
उन्होंने कहा, “सन 1918 में महात्मा गांधी ने इंदौर में, हिंदी साहित्य समिति की नींव रखते समय इसे राष्ट्रभाषा के रूप में चिह्नित किया था। केशवचंद्र सेन से लेकर स्वामी दयानंद सरस्वती, काका कालेलकर, बंकिमचंद्र और ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे महापुरुषों ने भी हिंदी का प्रबल समर्थन किया था। ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है, कि हम हिंदी को बढ़ावा देकर उन महापुरुषों के सपनों को साकार करें।”
हिंदी सलाहकार समिति की बैठक में राजेंद्र अग्रवाल सांसद, लोकसभा, श्याम सिंह यादव सांसद, लोकसभा, जी वी एल नरसिम्हा राव सांसद, राज्यसभा सहित रक्षा मंत्रालय और उसके अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।