देहरादून 29 मई 203,
दिल्ली: एनआईए द्वारा कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के मुखिया यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने के मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में आज सुनवाई हुई। अदालत ने यासीन मलिक का पक्ष जानने के लिए उसे नोटिस जारी किया है। इसके अलावा तिहाड़ जेल प्रशासन से कहा है कि अगली सुनवाई के दौरान उसे अदालत में पेश किया जाए।
जांच एजेंसी एनआईए ने कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट मे अपील की है। एनआईए ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में तर्क देते हुए यासीन मलिक टेरर फंडिंग का मास्टरमाइंड बताया है। तथा यूएपीए केस में यासीन को फांसी की सजा देने की मांग की। जांच एजेंसी ने कहा कि उसके खिलाफ मामले को रेयरेस्ट ऑफ रेयर श्रेणी में माना जाए, क्योंकि आतंकवाद समाज के लिए अपराध नहीं, बल्कि देश के लिए खतरा है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यासीन मलिक की लादेन से तुलना करते हुए कहा, ‘यदि ओसामा बिन लादेन को भी इस अदालत में लाया जाता तो क्या उसे यही ट्रीटमेंट मिलता।’ इस पर केस की सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल ने कहा, ‘दोनों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती क्योंकि लादेन पर किसी भी अदालत में कोई ट्रायल नहीं चला था।’
यासीन मलिक तिहाड़ जेल में बंद है । ट्रायल कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले को ही चुनौती देते हुए एनआईए ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है।