राजनीतिक

केन्द्रीय अंतरिम बजट 2024 को कांग्रेस ने बताया केवल रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल ,ठोस कुछ नहीं , बड़े-बड़े और खोखले दावे।

दिल्ली, मोदी सरकार के अंतरिम बजट 2024 पर सवालिया निशान लगाते हुए कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि, हर साल की तरह मोदी सरकार का अंतरिम बजट केवल रंग-बिरंगे शब्दों का मायाजाल है! इसमें ठोस कुछ नहीं था, बड़े-बड़े और खोखले दावे करना इस सरकार की आदत है। हमें उम्मीद थी कि, वित्त मंत्री गरीबो और मध्यम वर्ग के लिए कोई नई योजनाएँ लाएंगी। उनकी तकलीफ़ों को कम करने के लिए कुछ घोषणाएँ होगी। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। किसी भी बजट के दो काम होते हैं। एक पिछले साल का ब्योरा होता है और दूसरा आने वाले साल के लिए विजन होता है। इस बजट में ये दोनों ही चीजें गायब हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष ने वित्त मंत्री द्वारा अंतरिम बजट 2024 की तुलना 2014 के बजट से किए जाने के लिए श्वेत पत्र सदन में रखना चाहिए। मल्लिकार्जुन खड़गे ने अंतरिम बजट 2024 में किए गए वादों पर सवाल उठाते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री से जबाब मांगा है। पिछले 10 सालों में सरकार ने जितने वादे किए गए, उनमें से कितने पूरे हुए? कितने बाक़ी हैं? बजट में उन वादों का कोई ज़िक्र नहीं था। सालाना 2 करोड़ नौकरियाँ, किसानों की आय दोगुनी करना, 2022 तक सभी को पक्का घर, 100 स्मार्ट सिटी, ये सभी वादें आज तक पूरे नहीं हुए। 2014 में जो कृषि विकास दर 4.6% था, वो इस साल 1.8% कैसे हो गया। यूपीए के दौरान हमारी खेती 4% औसत से बढ़ती थी, वो आधा क्यों हो गया? क्यों 31 किसान हर रोज़ आत्महत्या करने पर मजबूर हैं? । 2014 में शिक्षा का बजट जो कुल बजट का 4.55% था, वो गिरकर 3.2% कैसे हो गया?। एससी, एसटी, ओबीसी, और माॅइनारिटी वैल्फेयर का कुल बजट की तुलना में शेयर लगातार क्यों गिर रहा है? रक्षा बजट और स्वास्थ्य बजट में लगातार गिरावट क्यों जारी है?। पूरे बजट में जाॅब्स शब्द केवल एक बार इस्तेमाल किया गया है। बेरोज़गारी 45 साल में सबसे अधिक क्यों हैं? 20-24 साल के युवाओं की बेरोज़गारी 45% पर क्यों है?मोदी सरकार ने 3 करोड़ से ज़्यादा लोगों की नौकरियां क्यों छीनी? हर महीने पेपर लीक क्यों होते हैं?। आसमान छूती महंगाई से हर कोई परेशान है। ज़रूरी वस्तुओं पर 5% से18% जीएसटी क्यों लगाया? आटा, दाल, चावल, दूध, सब्ज़ियों के दाम क्यों बढ़ते जा रहें हैं? यह बताने वाला कोई नहीं है। बजट में मनरेगा का नाम तक नहीं लिया, क्योंकि यूपीए के वक़्त 100 दिन का काम मिलता था, वो अब केवल साल में 48 दिन रह गया है। यूपीए के दौरान देश का औसत आर्थिक विकास दर जो न्यू सीरीज के मुताबिक, 8% पर था, वो इस सरकार में लुढ़क कर 5.6 % पर क्यों पहुँच गया?जब से मोदी सरकार बनी है, तब से बस बड़े-बड़े सपने दिखाने का काम हो रहा है। नाम बदल-बदल कर योजनाएँ लॉन्च होती हैं। लेकिन ये नहीं बताया जाता कि पुराने वादों का क्या हुआ? जो नये सपने दिखाए जा रहे हैं, वो कैसे पूरे होगें?

 

 

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