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हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए, भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है:उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़।

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में कहा कि, हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए, भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। कुछ लोग भारत की महान छवि को धूमिल करने में यह लोग लगे रहते हैं, इनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीयों का कर्तव्य है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़ के साथ आज अपने एकदिवसीय दौरे पर हरिद्वार पहुंचे और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किये जा रहे वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ के उद्घाटन समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। गुरुकुल कांगड़ी द्वारा इस महाकुंभ का आयोजन स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और स्वामी श्रद्धानंद के बलिदान दिवस में अवसर पर किया जा रहा है।

उपराष्ट्रपति ने सनातन धर्म पर टिप्पणियां करने वाले विपक्ष नेताओं की आलोचना करते हुए कहा, हममें से बहुतों ने तो वेद देखा ही नहीं है, मेरा आग्रह रहेगा कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेदों से अवगत कराएं। हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए, भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है। कुछ लोग भारत की महान छवि को धूमिल करने में यह लोग लगे रहते हैं, इनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीयों का कर्तव्य है। कुछ लोग अभी भी अंग्रेजियत के गुलाम हैं।अंग्रेजी कानूनों ने हमें जकड रखा था, हमारे लोग पिस रहे थे क्योंकि उन कानूनों का उद्देश्य था- दंड विधान। भारत की संसद द्वारा ‘दंड विधान’ को ‘न्याय विधान’ किया जाना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

उपराष्ट्रपति ने आगे कहा कि इस महान देश में कुछ लोग हैं, गिने चुने लोग हैं, वे भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं।

आप उनकी पाचन शक्ति को ठीक कीजिए। वह हमारे ही हैं लेकिन भटके हुए हैं। उन्हें मातृ भाषा में समावेशी शिक्षा प्रणाली स्वीकार ही नहीं है! यह कैसी बात है? अब वह दिन दूर नहीं है जब हर शिक्षा मातृभाषा में उपलब्ध होगी।

ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेदों से अवगत कराने पर बल देते हुए श्री धनखड़ नव कहा कि यह हमारे राष्ट्र-निर्माण के लिए और विश्व के स्थायित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति को हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए। भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है।

उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ गिने-चुने लोग अपनी संस्कृति, गौरवमयी अतीत और वर्तमान विकास को लेकर अपमान का भाव रखते हैं और भारत की महान छवि को धूमिल करने में लगे रहते हैं। उन्होंने कहा कि इनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीयों का परम दायित्व है और कर्तव्य है। ये जो ताकतें, हमारी संस्कृति के विरोध में हैं, राष्ट्रवाद के विरोध में हैं, हमारे अस्तित्व के विरोध में हैं, उन पर प्रतिघात होना चाहिए!

अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने 23 अगस्त 2023 को यह घोषणा की कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि भारत वह पहला देश है जिसने की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 को उतारा है यह सिर्फ अकेला देश है ऐसा करने वाला जिसने इतिहास रच दिया है, अब वहां शिव शक्ति पॉइंट भी है और तिरंगा पॉइंट भी है।

भारत आज तेज गति से विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है और यह अब बढ़त अजेय है, भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अब हम दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी बनने की राह पर हैं, हमने यू.के. को पीछे छोड़ा है और अब जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ने वाले हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने ढाई साल में संसद के नाम नया भवन का निर्माण किया है वह देखने लायक है। उन्होंने छात्रों को भारतीय संसद के नये भवन को देखने के लिए दिल्ली आमंत्रित किया और कहा कि उसमें आप भारतीयता और हमारे सदियों पुरानी संस्कृति की भरपूर झलक देखेंगे।

इस अवसर पर डॉ. (श्रीमती) सुदेश धनखड़, उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त), उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विश्विद्यालय के कुलपति डॉ. सत्यपाल सिंह, निदेशक, विश्वविद्यालय के प्राचार्य छात्र छात्राएं एवं कई अन्य गणमान्य जन उपस्थित रहे।

 

 

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