पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं अविभाजित उत्तरप्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे हिमालय पुत्र स्व० हेमवती नंदन बहुगुणा जी की 35वीं पुण्यतिथि पर देहरादून के एमडीडीए स्थित प्रतिमा पर विभिन्न संगठनों सहित उनके अनुयायियों द्वारा दिवंगत विभूति को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई है।
हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा का व्यक्तित्वअसाधारण था। उन्हें देश व दुनिया ने कुशल प्रशासक, औजस्वी वक्ता और प्रखर राजनेता के रूप में जाना। वे जमीन से जुडे नेता थे और किसानों व गरीबों के हितैषी थे, राजनैतिक संकीर्णता से परे थे। स्व० बहुगुणा के जीवन में कितने भी उतार चढ़ाव आए, पर उन्होंने विषम परिस्थितियों भी स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं किया। उनमें अद्भुत नेतृत्व क्षमता थी और वह सबको साथ लेकर चलते थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय निभाई। अंग्रेजी हुकूमत ने पांच हजार का ईनाम भी रखा था। उनको राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता था।
स्व. बहुगुणा जी का पहाड़ो के विकास के लिये एक सपना था, एक चिन्तन था। अपनी संस्कृति व सभ्यता से भी उन्हें बड़ा लगाव था। उन्होंने अविभाजित उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए पर्वतीय विकास परिषद के लिए अलग बजट की व्यवस्था कराकर पृथक उत्तराखंड राज्य निर्माण की दिशा में मजबूत नींव डाली थी।