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भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन हेतु लोकसभा में गृह मंत्री ने तीन विधेयक पेश किये।

देहरादून 11 अगस्त 2023,

दिल्ली: भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किये। इस अवसर पर गृह मंत्री ने कहा कि, ये तीनों कानून अंग्रेजों के शासन काल में बनाए गए थे। हम इसे बदल कर नए कानून ला रहे हैं। अमित शाह ने तीन संशोधित कानूनों की घोषणा की है।

*भारतीय न्याय संहिता, 2023: अपराधों से संबंधित प्रावधानों को समेकित और संशोधित करने के लिए और उससे जुड़े या उसके आकस्मिक मामलों के लिए।

*भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023: दंड प्रक्रिया से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों के लिए।

*भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023: निष्पक्ष सुनवाई के लिए साक्ष्य के सामान्य नियमों और सिद्धांतों को समेकित करने और प्रदान करने के लिए।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, सात साल से अधिक की सजा वाले अपराधों में फोरेंसिक टीमें घटनास्थल पर होनी चाहिए, जिससे अपराध की जांच करने में सहूलियत हो। लेकिन विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि देश इसके लिए तैयार नहीं है, लेकिन हम 2027 तक देश की सभी अदालतों को कम्प्यूटरीकृत करना चाहते हैं। हमने जीरो-एफआईआर को एक विशेष स्थान दिया है और आजादी के 75 साल बाद ऐसा पहली बार हुआ है। दुष्कर्म के आरोप में वीडियो रिकार्डेड बयान अनिवार्य कर दिया गया है। पहली बार सामुदायिक सेवा शुरू की जा रही है, यह बहुत प्रासंगिक नहीं है लेकिन अब इसे अधिनियमित किया जाएगा।

गृह मंत्री ने आगे कहा कि पुलिस अधिकारी भी अब जांच में देरी नहीं कर पाएंगे, उन्होंने आगे कहा, “हमने सुनिश्चित किया है कि 90 दिनों में आरोप पत्र दायर किया जाएगा और केवल अदालत उन्हें 90 दिन और बढ़ा सकती है, लेकिन 180 दिनों के भीतर पुलिस ने इन नए कानूनों के तहत जांच करने के लिए बाध्य होंगे। न्यायाधीश भी किसी भी दोषी के लिए अपनी सुनवाई और आदेश में देरी नहीं कर सकते हैं।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, आतंकवाद, मॉब-लिंचिंग और महिलाओं के खिलाफ अपराध के मुद्दों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और सख्ती से निपटा जाएगा। नया विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त कर देगा। उन्होंने बताया कि सामूहिक बलात्कार के लिए 20 साल की सजा की गारंटी है। 18 साल से कम उम्र की किसी भी महिला के साथ बलात्कार के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने मौत की सजा सुनिश्चित की गई है।

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