दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने जल संसाधन,नदी विकास और गंगा संरक्षणविभाग के प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना-त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (पीएमकेएसवाई – एआईबीपी) के तहत उत्तराखंड की जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना को शामिल करने की मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मार्च, 2028 तक ₹2,584.10 करोड़ की अनुमानित लागत वाली परियोजना को पूरा करने के लिए उत्तराखंड को ₹1,557.18 करोड़ की केंद्रीय सहायता को मंजूरी दे दी है।इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल जिले में राम गंगा नदी की सहायक नदी गोला नदी पर जमरानी गांव के पास एक बांध के निर्माण की परिकल्पना की गई है। यह बांध मौजूदा गोला बैराज को अपनी 40.5 किमी लंबी नहर प्रणाली और 244 किमी लंबी नहर प्रणाली के माध्यम से पानी देगा, जो 1981 में पूरा हुआ था।
इस परियोजना में उत्तराखंड के नैनीताल और उधम सिंह नगर जिलों और उत्तर प्रदेश के रामपुर और बरेली जिलों में 57,065 हेक्टेयर (उत्तराखंड में 9,458 हेक्टेयर और उत्तर प्रदेश में 47,607 हेक्टेयर) की अतिरिक्त सिंचाई की परिकल्पना की गई है। दो नई फीडर नहरों के निर्माण के अलावा, 207 किमी मौजूदा नहरों का नवीनीकरण किया जाना है और परियोजना के तहत 278 किमी पक्के फील्ड चैनल भी क्रियान्वित किए जाने हैं। इसके अलावा, इस परियोजना में 14मेगावाट की जल विद्युत उत्पादन के साथ-साथ हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में 42.70 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पीने के पानी के प्रावधान की भी परिकल्पना की गई है, जिससे 10.65 लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी।
परियोजना के सिंचाई लाभों का एक बड़ा हिस्सा पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को भी होगा, और दोनों राज्यों के बीच लागत/लाभ साझाकरण 2017 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन के अनुसार किया जाना है। हालांकि, पीने का पानी और बिजली लाभ उपलब्ध होंगे पूरी तरह से उत्तराखंड के लिए ही परिकल्पित हैं।
जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार जताते हुए कहा कि इस बांध परियोजना के निर्माण का रास्ता साफ होने से हल्द्वानी व आसपास के क्षेत्र में पेयजल एवं सिंचाई की समस्या का समाधान होगा। dam project Uttrakhand