अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की शरद पूर्णिमा पर रहा चंद्रग्रहण रात एक बजकर पांच मिनट से दो बजकर 18 मिनट तक रहेगा। एक घंटा 18 मिनट तक ग्रहण काल रहेगा। जबकि नौ घंटे पहले यानी शाम चार बजकर छह मिनट पर चंद्रग्रहण का सूतक शुरू हो जाएगा।
नियमों के अनुसार चंद्रग्रहण के सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रखे जायेंगे जिस दौरान कई कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा जैसे की स्नान, पुण्य कार्य, व्रत, भगवान की मूर्ति पर स्पर्श की मनाही रहेगी।
मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। इसे अमृत काल भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा पर चांद अमृत वर्षा करता है। इस दिन चंद्रमा के पूजन से स्वस्थ व नीरोगी काया प्राप्त होती है। लेकिन, इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण लग रहा है। शरद पूर्णिमा पर रहा चंद्रग्रहण रात एक बजकर पांच मिनट से दो बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
ज्योतिष आचार्यो के अनुसार भारत में चंद्र ग्रहण का शुरुआती चरण रात 11:30 बजे से शुरू हो जाएगा, जो देर रात दो बजकर 24 मिनट तक रहेगा। सूतक काल शुरू होने से पहले खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्ते डाल दें।
श्री बदरीनाथ-श्री केदारनाथ मंदिर समिति के अधीनस्थ मंदिरों श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ, द्वितीय केदार मध्मेश्वर, तृतीय केदार तुंगनाथ, सहित श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ, योग बदरी पांडुकेश्वर, भविष्य बदरी तपोवन, श्री त्रिजुगीनारायण मंदिर, श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी, श्री कालीमठ मंदिर एवं पंच बदरी मंदिरों में ग्रहण के दौरान कपाट बंद होंगे। इसके साथ ही पूजा करके मंदिरों के कपाट खोले जाएंगे।