दिल्ली, लेखिका और समाजिक कार्यकर्ता अरुधंति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर डॉ. शेख शौकत हुसैन के खिलाफ दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी है। अरुधंति रॉय और शेख शौकत हुसैन को एफआईआर दर्ज होने के 14 साल बाद यूएपीए के कड़े कानूनों का सामना करना पड़ेगा।
अरुंधति राय पर कश्मीर पर अक्टूबर-नवंबर 2010 में आपत्तिजनक भाषण देने का आरोप है। अरुधंति रॉय के खिलाफ सुशील पंडित की शिकायत पर 29 नवंबर 2010 को एफआईआर दर्ज की गई थी।
दिल्ली के उपराज्यपाल कार्यालय के मुताबिक, ” 21 अक्टूबर 2010 को दिल्ली के एलटीजी ऑडिटोरियम में ‘आजादी-द ओनली वे’ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस, में कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए प्रचार-प्रसार किया गया था। इस सम्मेलन में अरुंधति रॉय, डॉ. शेख शौकत हुसैन, सैयद अली शाह गिलानी, एसएआर गिलानी और माओवादी समर्थक वरवर राव शामिल थे। ‘आजादी-द ओनली वे’ सम्मेलन में सबसे ज्यादा एसएआर गिलानी और अरुंधति रॉय ने इस बात का प्रचार किया था कि, ‘कश्मीर कभी भी भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं था। उसपर भारत के सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा कर लिया था। शिकायतकर्ता सुशील पंडित ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत एमएम कोर्ट और नई दिल्ली के समक्ष शिकायत दर्ज की थी। जिसके आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज कर जांच की गई थी। मामले के अन्य दो आरोपी कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और दिल्ली विश्वविद्यालय के लेक्चरर सैयद अब्दुल रहमान गिलानी दोनों की कार्यवाही के दौरान मृत्यु हो गई थी।
2019 में केंद्र सरकार ने यूएपीए में कई बदलाव किए। अब तक यूएपीए को मजबूती देने के लिए छह बार जरूरी बदलाव किए गए हैं। नए संशोधनों के मुताबिक, सरकार किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है. यूएपीए के तहत संदेह होने भर से ही पुलिस या जांच एजेंसी किसी भी व्यक्ति को आतंकवादी घोषित कर सकती है. आरोपी कार्रवाई के खिलाफ सरकार की बनाई रिव्यू कमेटी के पास जा सकता है. बाद में कोर्ट में भी अपील की जा सकती है।
Lieutenant Governor of Delhi gives permission to prosecute writer Arudhanti Roy and former professor Dr. Sheikh Shaukat Hussain under UAPA.