धार्मिक

15 जनवरी सोमवार को मकर संक्रांति का त्योहार, इसी दिन सूर्य देव मकर राशि में करेंगे प्रवेश।

15 जनवरी सोमवार के दिन देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। कई स्थानों पर मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस अवसर पर खिचड़ी बनाने और खाने का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन सूर्य धनु राशि में अपनी यात्रा समाप्त कर प्रात: 02 बजकर 54 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे.

मकर संक्रान्ति पुण्य काल – सुबह 06.41- शाम 06.22

मकर संक्रान्ति महा पुण्य काल – सुबह 06.41 – सुबह 08.38

क्यों मनाई जाती है मकर संक्रान्ति?

 मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपना चाल बदलते हैं और धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस बार मकर संक्रांति बहुत शुभ रहने वाली है, क्योंकि संक्रांति पर 77 साल बाद  मकर संक्रांति पर रवि योग का निर्माण हो रहा है,  जो कुछ राशियों के लिए शुभ माना जा रहा है। साथ ही इस दिन से खरमास की समाप्ति भी होती है।

क्यों सभी संक्रांति में खास है मकर संक्रांति ? 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्राति के दिन ही सूर्य देव अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर जाते हैं। यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार जब सूर्य देव पहली बार पत्नी छाया और उनके बेटे शनि से मिलने उनके घर आए थे तो शनि देव ने काले तिल से उनका स्वागत किया था।

सूर्य देव ने प्रसन्न होकर शनि देव को आशीर्वाद दिया कि जब भी मैं मकर राशि में प्रवेश करुंगा और जो लोग इस दिन मुझे काले तिल अर्पित करेंगे उनके जीवन में सुख-समृद्धि आएगी, उनका घर धन-धान्य से भर जाएगा। मकर शनि की राशि है, यही वजह है कि मकर संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है.

मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ का महत्व।

मकर संक्रांति एक ऋतु पर्व है, ये हेमंत और शीत ऋतु का संधिकाल है। मकर संक्रांति का त्योहार जनवरी में ठंड के मौसम में आता है, यही वजह है कि इस दौरान सूर्य की पूजा और खिचड़ी और तिल-गुड़ खाने की परंपरा बनाई गई ताकि बदलते मौसम का सेहत और जीवन पर नकारात्मक असर न पड़े. कहा जाता है कि इस दिन गुड़, तिल और बाजरे आदि का दान करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।

 

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