दिल्ली, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के चार सदस्यों द्वारा मणिपुर हिंसा पर रिपोर्ट प्रकाशित करने के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी से सुरक्षा दो सप्ताह के लिए बढ़ा दी।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के मुकदमे पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायधीश डी.वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या पत्रकारों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। उन्होंने प्रश्न उठाया कि, चारों पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर क्यों रद्द नहीं की जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकारों को अपना दृष्टिकोण रखने का अधिकार है। बस हमें दिखाएं कि एफआईआर में उल्लेखित अपराध कैसे बनते हैं। यह सिर्फ एक रिपोर्ट है। आपने ऐसी धाराएं लगाई हैं जो बनाई ही नहीं गईं। सुप्रीम कोर्ट ने एडिटर्स गिल्ड के चार सदस्यों को गिरफ्तारी से सुरक्षा दो सप्ताह के लिए बढ़ाने के निर्देश दिए।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मणिपुर में हिंसा प्रभावित क्षेत्र की तथ्य खोज रिपोर्ट के संकलन हेतु एडिटर गिल्ड के तीन सदस्यों को 2 सितंबर को भेजा था। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की इस टीम ने, मणिपुर हिंसा पर 24 पन्नों की तथ्य-खोज रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर राज्य सरकार की ओर से जारी मीडिया की रिपोर्टें एक पक्षीय थीं। राज्य नेतृत्व पर पक्षपातपूर्ण होने का आरोप भी लगाया गया। इसके बाद मणिपुर सरकार ने स्वत: संज्ञान लेते हुए, एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी। मणिपुर सरकार द्वारा कराई गई प्राथमिक के खिलाफ एडिटर गिल्ड ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी जिस पर आज सुनवाई हुई है।