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One day conference on ‘India’s Progressive Path in Administration of Criminal Justice System’ of the Ministry of Law and Justice.       ‌***   

दिल्ली , विधि एवं न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग ने बीते दिन, डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, जनपथ, नई दिल्ली में ‘आपराधिक न्याय प्रणाली के प्रशासन में भारत का प्रगतिशील मार्ग’ विषय पर एक-दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में बड़ी संख्या में लोगों और प्रतिष्ठित अतिथियों ने भाग लिया, जिनमें विभिन्न उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश; आईटीएटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य; अधिवक्ता; शिक्षाविद; कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि; पुलिस अधिकारी; लोक अभियोजक, जिला न्यायाधीश और अन्य अधिकारी तथा कानून के छात्र शामिल थे।

यह सम्मेलन तीन आपराधिक कानूनों, अर्थात् भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के अधिनियमन की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया था, जिन्हें 1 जुलाई, 2024 से लागू किया जाएगा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। केन्द्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे –, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तथा कानून और न्याय मंत्रालय के न्याय विभाग के सचिव एस.के.जी. रहाटे ने कहा कि तीनों नए आपराधिक कानूनों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए ई-कोर्ट पर आधारित एकीकृत न्याय प्रणाली के निर्माण, एआई-आधारित तकनीक को अपनाने की आवश्यकता है।

सम्मेलन में क्रमशः भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 पर तीन तकनीकी सत्र आयोजित किये गए। इन सत्रों में नए युग के अपराधों पर कानून के प्रभाव, न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को प्रभावित करने वाले प्रक्रियात्मक बदलावों और कानूनी प्रक्रिया में साक्ष्य स्वीकार्यता की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार-विमर्श किया गया।

पहले तकनीकी सत्र में भारतीय न्याय संहिता 2023 (बीएनएस) के कार्यान्वयन का आकलन करने और भविष्य की जरूरतों का समाधान करने के लिए तुलनात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर गहन चर्चा हुई। सत्र की अध्यक्षता दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अनूप कुमार मेंदीरत्ता ने की।

दूसरे तकनीकी सत्र में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (बीएनएसएस) द्वारा शुरू किए गए प्रक्रियात्मक परिवर्तनों के प्रभाव, न्यायिक और पुलिस अधिकारी कैसे उनसे निपट सकते हैं तथा न्यायपालिका और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के कामकाज पर इसके व्यावहारिक प्रभाव पर चर्चा की गई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री अश्विनी कुमार मिश्रा ने सत्र की अध्यक्षता की।

तीसरे तकनीकी सत्र में भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (बीएसए) के मुख्य पहलुओं पर चर्चा की गई, जैसे इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल दस्तावेजों/साक्ष्यों की पहचान करना, इलेक्ट्रॉनिक सम्मन की सुविधा देना आदि। दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी. डी. सिंह ने इस सत्र की अध्यक्षता की। कार्यक्रम की समाप्ति समापन सत्र के साथ हुई, जिसमें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल; दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्रीमती रेखा पल्ली, दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और दिल्ली पुलिस की विशेष आयुक्त (प्रशिक्षण) सुश्री छाया शर्मा सम्मानित अतिथि थीं। अपने संबोधन में, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने तीनों आपराधिक कानूनों के सफल कार्यान्वयन के लिए एक संस्थागत व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। न्यायमूर्ति श्री संजय करोल ने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी और उसके नागरिक केंद्रित दृष्टिकोण पर बीएनएस का विशेष जोर प्रभावी और समय पर न्याय सुनिश्चित करेगा। न्यायमूर्ति श्रीमती रेखा पल्ली ने कहा कि नए अधिनियम स्पष्ट परिभाषाएँ प्रदान करते हैं, पहुंच सुनिश्चित करते हैं और लैंगिक समानता को बढ़ावा देते हैं। एएसजी श्री चेतन शर्मा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि नए कानून, औपनिवेशिक विरासत का त्याग करते हुए धर्म और भारतीय मूल्यों पर आधारित न्याय प्रणाली की दिशा में आगे बढ़ते हैं। दिल्ली पुलिस की विशेष आयुक्त (प्रशिक्षण) सुश्री छाया शर्मा ने नए कानूनों की परिवर्तनकारी क्षमता और पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षित करने की पहल को रेखांकित किया। उन्होंने किसी भी तलाशी और जब्ती के दौरान अनिवार्य वीडियोग्राफी तथा संगठित और असंगठित अपराध के बीच अंतर करने से जुड़े कानून के प्रावधानों का स्वागत किया।

विधि कार्य विभाग के सचिव डॉ. राजीव मणि ने तकनीकी सत्रों के विचार-विमर्श का सारांश प्रस्तुत किया और इसके प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। समापन सत्र की समाप्ति विधि कार्य विभाग की अपर सचिव डॉ. अंजू राठी राणा के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुई।

 

One day conference on ‘India’s Progressive Path in Administration of Criminal Justice System’ of the Ministry of Law and Justice.

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