देहरादून 07 जुलाई 2023,
दिल्ली: उच्चतम न्यायालय में ‘पेपरलैस ग्रीन कोर्ट रूम’ की शुरूआत होने से उच्चतम न्यायालय ने हाईटैक होने की दिशा में अहम पहल की है। अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग से माननीय न्यायाधीशों को मोटी-मोटी किताबों और फाईलों से मुक्ति मिलती। इसकी जगह अब एक पतली-सी पॉप-अप स्क्रीन ने ले ली है। इसके साथ ही एक डिजिटल लाइब्रेरी की भी शुरूआत हुई है जहां कानून से संबंधित पुस्तकों को तुरंत देखा जा सकता है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट की पहली तीन कोर्ट ही ‘ग्रीन कोर्ट’ बनी हैं। अदालत कक्षों में बदलाव का सुझाव भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने ही दिया था। उनका विजन हैं कि, अदालतें अधिक तकनीक-अनुकूल बनें ताकि अदालती कार्रवाई कागज रहित हो सके।
ऑनलाइन पेशी के लिए इन अदालतों के कक्षों में बड़े-बड़े एल.सी.डी. भी लगाए गए हैं। वकीलों के लिए भी हाईटैक सुविधाएं शुरू की गई हैं, जिसमें वकीलों को भी केस से संबंधित मोटी-मोटी पेपरबुक नहीं ले जानी होंगी। लैपटॉप और टेबलैट के माध्यम से कागजात न्यायाधीशों को दिखाए जा सकेंगे। मुकदमों से संबंधित कानूनी दस्तावेजों तक आसानी से पहुंचने के लिए न्यायाधीशों के पास दस्तावेज अवलोकन तकनीक भी होगी। जिसके उपयोग से दस्तावेज को मशीन पर रखा जा सकता है, जिसे वकील अपनी स्क्रीन और कोर्ट में लगी बड़ी स्क्रीन पर भी देख सकेंगे। वकीलों के पास फाइलें और दस्तावेज़ पढऩे के लिए स्मार्ट स्क्रीन भी होंगी। कोर्ट में मौजूद न्यायाधीश भी डिजिटल ढंग से विभिन्न पुराने फैसले व कानून की धाराओं को देख सकेंगे। इसके अलावा, मीडिया रूम, वेटिंग रूम आदि में वादियों, वकीलों और मीडियाकर्मियों के लिए मुफ्त वाई-फाई की शुरूआत भी की गई है।