दिल्ली: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाल और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सेना में महिला अफसरों को प्रमोशन और कर्नल रैंक के पैनल में शामिल करने के अपने आदेश की अवहेलना को लेकर भारतीय सेना पर कड़ी टिप्पणी की है। महिला अधिकारियों को कर्नल के रूप में सूचीबद्ध करने से सेना द्वारा इनकार करने का रवैया मनमाना है। पीठ ने सेना के अधिकारियों को उनकी पदोन्नति के लिए विशेष चयन बोर्ड की मीटिंग आहूत करने का निर्देश दिया है।
महिला अफसरों की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा सेना के अधिकारियों का दृष्टिकोण उन महिला अधिकारियों को न्याय देने की आवश्यकता पर विपरित असर डालता है। जिन्होंने उचित अधिकार प्राप्त करने के लिए लंबी और कठिन लड़ाई लड़ी है. कर्नल के रूप में पैनल में शामिल होने के लिए महिला अधिकारियों के लिए सीआर की गणना के लिए जो कट ऑफ लागू किया गया है, वह मनमाना है। क्योंकि यह कोर्ट के आदेश के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा निर्धारित नीतिगत ढांचा यह स्पष्ट करता है कि नौ साल की सेवा के बाद सभी गोपनीय रिपोर्ट (सीआर) पर विचार किया जाना आवश्यक है। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि अधिकारियों को समायोजित करने के लिए रिक्तियों की संख्या अपर्याप्त है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 21 नवंबर 2022 के आदेश में सेना अधिकारियों के बयान को दर्ज किया था कि हमारे फैसले के मुताबिक 150 रिक्तियां उपलब्ध कराई जानी थीं। 108 रिक्तियां भरी गई हैं।
भारतीय सेना को दिए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा, विशेष चयन बोर्ड 3बी को इस फैसले से 15 दिन के भीतर दुबारा गठित करने की प्रक्रिया शुरू की जाए। पिछले दो सीआर को छोड़कर सभी गोपनीय रिपोर्ट को ध्यान में रखा जाएगा।