दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं द्वारा लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कथित रूप से सांप्रदायिक भाषण देने पर उनके खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में चुनाव आयोग को आचार संहिता के उल्लंघन में हेट स्पीच देने वाले आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने समेत कानून के अनुसार तत्काल कार्रवाई करने का आदेश देने की मांग की गई थी।
याचिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजस्थान और मध्य प्रदेश में दिए गए भाषणों , भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की एक्स पर पोस्ट और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा 27 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में दिए गए भाषण का हवाला दिया गया है ।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता निजाम पाशा ने न्यायालय को अवगत कराया कि, चुनाव आयोग के पास अलग-अलग राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अलग-अलग मानक नहीं हो सकते। चुनाव आयोग ने अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई की है। लेकिन प्रधानमंत्री के मामले में ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि चुनाव आयोग की कार्रवाई में विफलता चुनाव प्रक्रिया की अखंडता से समझौता है.।
एडवोकेट सुरुचि सूरी चुनाव आयोग की तरफ से पेश हुईं। उन्होंने चुनाव की घोषणा से पहले एक मार्च को सभी राजनीतिक दलों को जारी की गई एक सलाह का हवाला दिया।
न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि, चुनाव आयोग अभी तक कार्यवाही पूरी नहीं की है। वे इसके बीच में हैं। ऐसी स्थिति में जांच कार्रवाई को प्रभावित करने में अदालत की भूमिका सीमित होती है,और कहा कि हम चुनाव आयोग का सूक्ष्म प्रबंधन नहीं कर सकते हैं ।
The Delhi High Court rejected the petition filed against Prime Minister Narendra Modi and other leaders for making communal speeches during the election campaign.