दिल्ली , सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से लोकसभा चुनाव 2024 के लिए हुए वोटिंग के तुरंत बाद जारी किए गए वोटिंग परसेंटेज के आंकड़े और कुछ दिन बाद फाइनल वोटिंग परसेंटेज के आंकड़े में हुई बढ़ोतरी को लेकर जवाब मांगा है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के उपरांत चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। याचिका में आशंका जताई गई थी कि,ईवीएम मशीनों को रिप्लेस किया जा सकता है ताकि फाइनल वोटिंग परसेंटेज बढ़ाया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि, वेकेशन बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी। वहीं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनाव आयोग को 24 मई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। 24 मई को इस मामले पर सुनवाई होनी है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम मामले की सुनवाई के लिए पूरी रात बैठेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि वेबसाइट पर मतदान के आंकड़ें डालने में क्या दिक्कत है? इस पर चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि इसमें समय लगता है क्योंकि बहुत सारा डाटा इकट्ठा करना होता है। फिर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनाव आयोग को याचिका पर जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी याचिका में वोटिंग परसेंटेज को लेकर संदेह जताया है। साथ ही उसने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया है।
कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इंडिया गठबंधन के नेताओं को पत्र लिखा था और आरोप लगाया था कि फाइनल वोटिंग परसेंटेज में 5 से 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने सभी दलों से इस मुद्दे पर सवाल उठाने के लिए कहा था। हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने खड़गे के पत्र पर कहा था कि यह केवल भ्रम फैलाता है और निष्पक्ष मतदान कराने में बाधा डालता है।
The Supreme Court sought answers from the Election Commission regarding the increase in the final voting percentage figures for the Lok Sabha elections 2024.