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मार्च महीने मे उत्तराखंड मे इतनी हजार गाड़ियां बन जाएगी कबाड़, जानिए क्यों

15 वर्ष या इससे अधिक पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने की प्रक्रिया तेज हो गई है। प्रदेश में जारी स्क्रैप नीति के तहत 15 वर्ष या अधिक पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने के लिए समय सारिणी बनाई गई थी।

प्रदेश के सरकारी विभागों, स्थानीय निकायों, प्रतिष्ठानों, उपक्रमों के 15 साल से अधिक पुराने सभी 6,200 वाहन मार्च अंत तक कबाड़ में चले जाएंगे। इसके लिए प्रदेश में स्क्रैप सेंटर बनाए गए हैं। इन वाहनों की न तो नीलामी होगी और न ही इनके रजिस्ट्रेशन की अवधि बढ़ाई जाएगी।सचिव परिवहन अरविंद सिंह ह्यांकी के मुताबिक, प्रदेश में जारी स्क्रैप नीति के तहत 15 वर्ष या अधिक पुराने वाहनों को स्क्रैप में भेजने के लिए समय सारिणी बनाई गई थी। इसके मुताबिक, पिछले साल नवंबर तक 1,200 वाहन स्क्रैप में भेजे गए

दिसंबर से जनवरी तक 2,500 वाहन स्क्रैप किए गए। अब फरवरी और मार्च में बाकी 2,500 वाहन भी स्क्रैप हो जाएंगे। इस तरह 6,200 सरकारी वाहन कबाड़ बन जाएंगे। सभी विभागों को स्पष्ट किया गया कि वे केंद्र सरकार के एमएसटीसी के ई-ऑक्शन पोर्टल से वाहनों की स्क्रैपिंग कराएं।सभी विभागों को ये भी निर्देश दिए गए कि वे स्क्रैप किए गए वाहनों का निक्षेप प्रमाणपत्र (सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट) की कॉपी स्क्रैप वाहनों की सूची के साथ परिवहन आयुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराएं। इन वाहनों का पूरा विवरण माहवार शासन को भी भेजा जाना जरूरी है।

पुराने सरकारी वाहनों को कबाड़ बनाने 5की प्रक्रिया तो चल रही, लेकिन इनके बदले नए वाहन खरीद में जान नजर नहीं आ रही। इसके पीछे मुख्य वजह ये है कि विभागों के पास इतना बजट नहीं है। वित्त से उन्हें अनुमति भी आसानी से नहीं मिल रही है। नतीजतन विभागों के अफसर अब टैक्सी सेवा के भरोसे काम कर रहे हैं।

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