राष्ट्रीय समाचार

समान नागरिक संहिता विषय पर गोष्ठी आयोजित।

देहरादून 12 अगस्त 2023,

उत्तराखंड हाईकोर्ट के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि, भीमराव बाबा साहेब अंबेडकर का सपना था जिसे वो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पूरा नही कर सकी आज भी हम 75 साल बाद इस पर चर्चा कर रहे है। ये हमारी नाकामी भी दिखाती है। संविधान की प्रतिबद्धता के बाद भी क्यों लागू नही हुआ यह चिंता का विषय है।

लॉ कॉलेज प्रेमनगर देहरादून के सभागार में उत्तरांचल विश्व विद्यालय एवं अधिवक्ता परिषद देहरादून देहरादून इकाई के संयुक्त तत्वावधान में समान नागरिक संहिता विषय पर आयोजित गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को लागू करने का जो सबसे महत्वपूर्ण पहलू है वो है महिलाओं की कानून में समानता देना। इससे किसी के धर्म को कोई खतरा नही है बल्कि नए भारत के लिए समान नागरिक संहिता एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर है। इसकी अनदेखी अब नही होनी चाहिए। भारत के नागरिक होने के नाते समान नागरिक संहिता हमारा अधिकार है।

कुछ चीज़े है जिस पर हमें चर्चा करनी चाहिए क्योंकि अभी भी भ्रम की स्थिति है। उन्होंने नागालैंड का उदाहरण देते हुए बताया कि जनजाति समाज मे भी इसको लेकर भ्रम की स्थिति है। व्यक्तिगत कानून है। हिन्दू कानूनों में भी काफी विविधता है चाहे उत्तराधिकार का प्रश्न हो, विवाह के प्रश्न हो। उन्होंने कहा कि,हमें समान नागरिक संहिता कानून बनाना है लेकिन इन सभी बिन्दुओ को भी ख्याल रखना है। मेरा एक सुझाव है सभी व्यक्तिगत कानूनों को डी-कोडीफाईड कर दिया जाए। बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि, जब सभी कानून सामाजिक स्तर पर माने जाते थे जिन्हें कोडिफाइड करके खत्म कर दिया गया।

ये कहना गलत है कि यूसीसी को भारत मे लागू नही किया जा सकता। यूसीसी को को तैयार करते हुए इन सभी बिंदुओं पर चर्चा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि,चार्टर ऑफ राइट भी एक नागरिक के तौर पर जरूरी है। समय आ गया है जब समान नागरिक संहिता को लागू किया जाए। आज 75 वर्ष बाद हमने इस विषय पर चर्चा शुरू की है। नए भारत की नींव में समान नागरिक संहिता की जरूरत है क्योंकि भविष्य में सामाज के आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति को न्याय मिले इसलिये भी जरूरी है।

गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि लोकपाल सिंह द्वारा कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए बताया गया कि संविधान सभा मे समान नागरिक संहिता की प्रासंगिता को बताया गया लेकिन कुछ कारणों से इसे लागू नही किया जा सका । जिसे उच्चतम न्यायालय द्वारा अपने कई निर्णय में दोहराया गया। उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है जहां यूसीसी को लेकर एक सार्थक प्रयासरत किया गया है।

गोष्ठी में अधिवक्ता परिषद की उत्तराखंड इकाई की अध्यक्ष जानकी सूर्या, उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के डीन राजेश बहुगुणा, जितेंद्र जोशी, वरिष्ठ अधिवक्ता टी.एस. बिंद्रा, प्रशांत सिंगल,तथा काफी संख्या में छात्र, अधिवक्ता एवं समाज के प्रबुद्धजन तथा हरिद्वार, रुड़की एवं बार एसोसिएशन के काफी संख्या में अधिवक्ता भी मौजूद रहे।

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