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वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती हुई दुनिया का सबसे अनूठा मंच:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।

दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से “वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट-2 के उद्घाटन सत्र को संबोधित क किया । उन्होंने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ 21वीं सदी की बदलती हुई दुनिया का सबसे अनूठा मंच है। भौगोलिक रूप से ग्लोबल साउथ हमेशा से ही रहा है लेकिन, उसे इस प्रकार से आवाज पहली बार मिल रही है और ये हमारे साझा प्रयासों से हो पाया है। इस मंच में 100 से ज्यादा देश शामिल हैं लेकिन, हमारे हित समान हैं, हमारी प्राथमिकताएं समान हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा पिछले साल दिसंबर में जब भारत ने G-20 की अध्यक्षता संभाली तब हमने इसमें ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज को आगे बढ़ाना अपनी प्राथमिकता माना। उन्होंने आगे कहा कि हम सभी देख रहे हैं कि पश्चिम एशिया क्षेत्र की घटनाओं से नई चुनौतियां उभर रही हैं। भारत ने इजरायल में सात अक्टूबर को हुए आतंकवादी हमले की निंदा की है। वहीं, इस दौरान संयम बरतने और संवाद तथा कूटनीति पर बल दिया गया। पीएम मोदी ने कहा कि हम इजरायल और हमास के बीच संघर्ष में नागरिकों की मौत की भी कड़ी निंदा करते हैं। उन्‍होंने आगे कहा कि फि‍लि‍स्‍तीन के राष्‍ट्रपति महमूद अब्‍बास से बातचीत के बाद वहां के लोगों के लिए मानवीय सहायता भेजी गई। वहीं, दिल्‍ली में G-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान ग्‍लोबल साउथ से जुड़े मुद्दों को उठाया गया था।

प्रधानमंत्री ने अफ्रीकी संघ को भारत के प्रयासों से स्‍थाई सदस्‍य के रूप में G-20 में शामिल किए जाने को भारत की उपलब्धि बताया। G-20 ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आर्थिक सहायता पर गंभीरता दिखाई। वहीं, शिखर सम्‍मेलन के दौरान ग्‍लोबल जैव ईंधन संगठन की शुरुआत की गई। भारत का विश्‍वास है कि नई प्रौद्योगिकी से उत्‍तर और दक्षिण के बीच कोई भेदभाव पैदा नहीं किया जाना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कृत्रिम मेधा के युग में प्रौद्योगिकी का उपयोग जिम्‍मेदारी से करने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने घोषणा की भारत अगले महीने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ग्‍लोबल साझेदारी शिखर सम्‍मेलन आयोजित करेगा। G-20 द्वारा डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर , के फ्रेमवर्क को अपनाया गया है, जिससे आवश्यक सेवाओं की लास्ट माइल डिलीवरी में सहायता मिलेगी और इन्क्लूसिव बढ़ेगी। वैश्विक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर रेस्पॉन्सबिलिटी बनाने पर भी सहमति बनी है। इसके अंतर्गत भारत अपनी क्षमताएं पूरे ग्लोबल साउथ के साथ साझा करने के लिए तैयार है ।

किसी भी प्राकृतिक आपदा से, ग्लोबल साउथ के देश, सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। इसके लिए भारत ने कोलिशन फाॅर डिजास्टर रिसिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, शुरू किया था। अब जी-20 में डिजास्टर रिस्क रिडक्शन और रिसिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए नया वर्किंग ग्रुप भी बनाया गया है।

 

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