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शिमला में “गरीब कल्याण सम्मेलन” में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का देश के लिए सम्बोधन।

देहरादून 31 मई 2022 ,

शिमला: केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के आठ वर्ष पूरे होने पर आयोजित गरीब कल्याण सम्मेलन” का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत माता की, जय, के उद्घोष से किया।

उन्होंने संबोधन में कहा कि, अभी देश के करोड़ों-करोड़ किसानों को उनके खाते में पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा ट्रांसफर हो गया, पैसा उनको मिल भी गया, और आज मुझे शिमला की धरती से देश के 10 करोड़ से भी ज्‍यादा किसानों के खाते में पैसे पहुंचाने का सौभाग्‍य मिला है।

कोरोनाकाल में जिन बच्‍चों ने अपने माता और पिता दोनों खो दिए, ऐसे बच्‍चों का जिम्‍मा संभालने का अवसर कल मुझे मिला। देश के उन हजारों बच्‍चों का देखभाल का निर्णय सरकार ने किया, और कल उनको मैंने कुछ पैसे भी डिजिटली भेज दिए हैं। आठ साल की पूर्ति में ऐसा कार्यक्रम होना मन को बहुत सुकून देता है, आनंद देता है।

जब हमारी सरकार अपने आठ वर्ष पूरे कर रही है, तो आज मैं फिर से, मैं इस देवभूमि से मेरा संकल्प फिर दोहराउंगा, क्‍योंकि संकल्‍प को बार-बार स्‍मरण करते रहना चाहिए, संकल्‍प की कभी विस्‍मृति नहीं होनी चाहिए, और मेरा संकल्‍प था, आज है, आगे भी रहेगा। जिस संकल्‍प के लिए जिऊंगा, जिस संकल्‍प के लिए जूझता रहूंगा, जिस संकल्‍प के लिए आप सबके साथ चलता रहूंगा, और इसलिए मेरा ये संकल्‍प है भारतवासी के सम्मान के लिए, हर भारतवासी की सुरक्षा, उस हर भारतवासी की समृद्धि कैसे बढ़े, भारतवासी को सुख-शांति की जिंदगी कैसे मिले, उस एक भाव से गरीब से गरीब हो, दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, दूर-सुदूर जंगलों में रहने वाले लोग हों, पहाड़ी की चोटियों पर रहने वाले छुटपुट रहने वाले एकाध-दो परिवार हों, हर किसी का कल्‍याण करने के लिए, जितना ज्‍यादा काम कर सकता हूं, उसको करता रहूं।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि, 2014 से पहले अखबार की सुर्खियों में भरी रहती थी, हैडलाइन बनी रहती थी, टीवी पर चर्चा होती रहती थी। बात क्‍या होती थी, बात होती थी लूट और खसोट की, बात होती थी भ्रष्टाचार की, बात होती थी घोटालों की, बात होती थी भाई-भतीजावाद की, बात होती थी अफसरशाही की, बात होती थी अटकी-लटकी-भटकी योजनाओं की। लेकिन वक्‍त बदल चुका है, आज चर्चा होती है सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ की। सिरमौर से हमारी कोई समादेवी कह देती है कि मुझे ये लाभ मिल गया। आखिरी घर तक पहुंचने का प्रयास होता है।

आज गरीबों के हक का पैसा सीधे उनके खातों में पहुंचने की बात होती है। आज चर्चा होती है दुनिय में भारत के स्टार्टअप की। वर्ल्‍ड बैंक भी चर्चा करता है भारत के Ease of Doing Business की, आज हिंदुस्‍तान के निर्दोष नागरिक चर्चा करते हैं अपराधियों पर नकेल की हमारी ताकत की, भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के साथ आगे बढ़ने की।

2014 से पहले देश की सुरक्षा को लेकर चिंता थी, आज सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक का गर्व है, हमारी सीमा पहले से ज्यादा सुरक्षित है। पहले देश का नॉर्थ ईस्ट अपने असंतुलित विकास से, भेदभाव से आहत था, दुखी था। आज हमारा नॉर्थ ईस्ट दिल से भी जुड़ा है और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से भी जुड़ रहा है। सेवा, सुशासन और गरीबों के कल्याण के लिए बनी हमारी योजनाओं ने लोगों के लिए सरकार के मायने ही बदल दिए हैं। अब सरकार माई-बाप नहीं है, वो वक्‍त चला गया, अब सरकार सेवक है सेवक, जनता-जनार्दन की सेवक। अब सरकार जीवन में दखल देने के लिए नहीं बल्कि जीवन को आसान बनाने के लिए काम कर रही है। बीते वर्षों में हम विकास की राजनीति को, देश की मुख्यधारा में लाए हैं। विकास की इसी आकांक्षा में लोग स्थिर सरकार चुन रहे हैं, डबल इंजन की सरकार चुन रहे हैं।

जब सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण का लक्ष्य हो, तो कैसे काम होता है, इसका एक उदाहरण है Direct Benefit Transfer स्कीम, अभी मैं जो कह रहा था, DBT के माध्‍यम से, Direct Benefit Scheme के माध्‍यम से, 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधे 21 हज़ार करोड़ रुपए ट्रांसफर हो गए हैं।

ये हमारे छोटे किसानों की सेवा के लिए हैं, उनके सम्मान की निधि हैं। बीते 8 साल में ऐसे ही DBT के जरिए हमने 22 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा सीधे देशवासियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए हैं। और ऐसा नहीं हुआ कि 100 पैसा भेजा तो पहले 85 पैसा लापता हो जाता था। जितने पैसे भेजे, वो पूरे के पूरे सही पते पर, सही लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे गए हैं।

आज इस योजना की वजह से सवा दो लाख करोड़ रुपए की लीकेज रुकी है। पहले यही सवा दो लाख करोड़ रुपए बिचौलियों के हाथों में चले जाते थे, दलालों के हाथों में चले जाते थे। इसी DBT की वजह से देश में सरकारी योजनाओं का गलत लाभ उठाने वाले 9 करोड़ से ज्यादा फर्जी नामों को हमने लिस्ट से हटाया है। आप सोचिए, फर्जी नाम कागजों में चढ़ाकर गैस सब्सिडी, बच्चों की पढ़ाई के लिए भेजी गई फीस, कुपोषण से मुक्ति के लिए भेजा गया पैसा, सब कुछ लूटने का देश में खुला खेल चल रहा था। ये क्या देश के गरीब के साथ अन्याय नहीं था, जो बच्‍चे उज्‍ज्‍वल भविष्‍य की आशा करते हैं, उन बच्‍चों के साथ अन्‍याय नहीं था, क्‍या ये पाप नहीं था? अगर कोरोना के समय यही 9 करोड़ फर्जी नाम कागजों में रहते तो क्या गरीब को सरकार के प्रयासों का लाभ मिल पाता क्‍या?

साथियों,

आज देश के 3 करोड़ गरीबों के पास उनके पक्के और नए घर भी, जहां आज वो रहने लगे हैं। आज देश के 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों के पास 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है। आज देश के 25 करोड़ से अधिक गरीबों के पास 2-2 लाख रुपए का एक्सीडेंट इंश्योरेंस और टर्म इंश्योरेंस है, बीमा है। आज देश के लगभग 45 करोड़ गरीबों के पास जनधन बैंक खाता है।

हमने दूर-सुदूर पहुंचकर लोगों को वैक्सीन लगाई है, देश करीब 200 करोड़ वैक्सीन डोज के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रहा है और मैं जयराम जी को बधाई दूंगा, कोरोना काल में जिस प्रकार से उनकी सरकार ने काम किया है, और उन्‍होंने ये टूरिस्‍ट डेस्टिनेशन होने के कारण टूरिज्‍म के लिए तकलीफ न हो, इसलिए उन्‍होंने वैक्‍सीनेशन को इतना तेजी से चलाया, हिंदुस्‍तान में सबसे पहले वैक्‍सीनेशन का काम पूरा करने वालों में जयराम जी की सरकार अग्रिम पंक्ति में रही। सा‍थियो, हमने गांव में रहने वाले 6 करोड़ परिवारों को साफ पानी के कनेक्शन से जोड़ा है, नल से जल।

हमने 35 करोड़ मुद्रा लोन देकर गांवों और छोटे शहरों में करोड़ों युवाओं को स्वरोजगार का अवसर दिया है। मुद्रा लोन लेकर कोई टैक्सी चला रहा है, कोई टेलरिंग की दुकान खोल रहा है, कोई बिटिया अपना स्‍वयं का कारोबार शुरू कर रही है। रेहड़ी-ठेले-पटरी पर काम करने वाले लगभग 35 लाख साथियों को भी पहली बार बैंकों से ऋण मिला है, अपने काम को बढ़ाने का रास्ता मिला है। और जो प्रधानमंत्री मुद्रा योजना है ना, मेरे लिए संतोष की बात है। उसमें 70 प्रतिशत, बैंक से पैसा प्राप्‍त करने वालों में 70 प्रतिशत हमारी माताएं-बहनें हैं जो entrepreneur बन करके आज लोगों को रोजगार दे रही हैं।

सैन्‍य परिवार हमारी संवेदनशीलता को भली प्रकार समझता है। ये हमारी ही सरकार है जिसने चार दशकों के इंतजार के बाद वन-रैंक वन-पेंशन को लागू किया, हमारे पूर्व सैनिकों को एरियर का पैसा दिया। इसका बहुत बड़ा लाभ हिमाचल के हर परिवार को हुआ है।

मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि जयराम जी के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश इस दिशा में बहुत अच्छा काम कर रहा है। हर घर जल योजना में भी हिमाचल 90 प्रतिशत घरों को कवर कर चुका है। किन्नौर, लाहौल-स्पिति, चंबा, हमीरपुर जैसे जिलों में तो शत प्रतिशत कवरेज हासिल की जा चुकी है।

हमें 21वीं सदी के बुलंद भारत के लिए, आने वाली पीढ़ियों के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपने-आपको खपाना है। एक ऐसा भारत जिसकी पहचान अभाव नहीं बल्कि आधुनिकता हो। एक ऐसा भारत जिसमें लोकल manufacturer, लोकल डिमांड को भी पूरा करे और दुनिया के बाजारों में भी अपना सामान बेचे। एक ऐसा भारत जो आत्मनिर्भर हो, जो अपने लोकल के लिए वोकल हो, जिसे अपने स्थानीय उत्पादों पर गर्व हो।

बीते 8 वर्षों के प्रयासों के जो नतीजे मिले हैं, उनसे मैं बहुत विश्वास से भरा हुआ हूं, आत्‍मविश्‍वास से भरा हुआ हूं। हम भारतवासियों के सामर्थ्य के आगे कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। आज भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक है। आज भारत में रिकॉर्ड विदेशी निवेश हो रहा है, आज भारत रिकॉर्ड एक्सपोर्ट कर रहा है। 8 साल पहले स्टार्ट अप्स के मामले में हम कहीं नहीं थे, आज हम दुनिया के तीसरे बड़े स्टार्ट अप इकोसिस्टम हैं, तीसरे बड़े। करीब-करीब हर हफ्ते हज़ारों करोड़ रुपए की कंपनी हमारे युवा तैयार कर रहे हैं। आने वाले 25 साल के विराट संकल्पों की सिद्धि के लिए देश नई अर्थव्यवस्था के नए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण भी तेजी से कर रहा है।

बीते आठ वर्षों में आज़ादी के 100वें वर्ष के लिए यानि 2047 के लिए मज़बूत आधार तैयार हुआ है। इस अमृतकाल में सिद्धियों के लिए एक ही मंत्र है- सबका प्रयास। सब जुड़ें, सब जुटें और सब बढ़ें- इसी भाव के साथ हमें काम करना है। कितनी सदियों के बाद, और कितनी पीढ़ियों के बाद ये सौभाग्य हमें मिला है, हमारी आपकी पीढ़ी को मिला है। इसलिए आइये, हम संकल्प लें, हम सब ‘हम सबका प्रयास’ के इस आह्वान में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाएंगे, अपना हर कर्तव्य निभाएंगे।

इस दौरान हिमाचल प्रदेश के गवर्नर राजेंद्र , मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर , प्रदेश के अध्‍यक्ष सुरेश , केंद्रीय मंत्री , सांसदगण, विधायकगण, उपस्थित थे।

 

 

 

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